जब्त वाहन थाना में तब तक न रखें, जब तक कि जांच के लिए जरूरी नहीं हो : हाइकोर्ट

‘जब्त वाहनों को थाना में खुले आसमान के नीचे तब तक रखने की जरूरत नहीं है, जब तक कि जांच के लिए संबंधित वाहन की उपस्थिति जरूरी नहीं हो.’ जब्त वाहन को रिलीज करने के मामले में दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की अदालत ने उक्त मौखिक टिप्पणी की है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 6, 2024 12:33 AM

वरीय संवाददाता (रांची).

‘जब्त वाहनों को थाना में खुले आसमान के नीचे तब तक रखने की जरूरत नहीं है, जब तक कि जांच के लिए संबंधित वाहन की उपस्थिति जरूरी नहीं हो.’ जब्त वाहन को रिलीज करने के मामले में दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की अदालत ने उक्त मौखिक टिप्पणी की है. अदालत ने प्रार्थी व प्रतिवादी का पक्ष सुनने के बाद आदेश पारित किया और सशर्त मोटरसाइकिल रिलीज करने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि जब तक मामला लंबित रहेगा, तब तक प्रार्थी वाहन को न तो बेचेगा और न ही गिरवी रखेगा. संबंधित वाहन का स्वामित्व भी हस्तांतरित नहीं करेगा. वाहन की पहचान में कोई बदलाव या छेड़छाड़ भी नहीं किया जा सकेगा. अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि पुलिस द्वारा जब्त वाहनों को थाना में खुले आसमान के नीचे तब तक रखने की जरूरत नहीं है, जब तक जांच के लिए संबंधित वाहन की मौजूदगी जरूरी नहीं हो. इससे पहले सुनवाई के दौरान प्रार्थी ने अदालत को बताया कि जब्त वाहन का मूल्य प्रतिदिन घटता जा रहा है, क्योंकि इसे पुलिस थाना परिसर में बिना देखभाल के खुले आसमान में रखा गया है. यह भी कहा गया कि भविष्य में अदालत या पुलिस द्वारा मांगे जाने पर मोटरसाइकिल को प्रस्तुत कर देंगे.

डोडा की तस्करी मामले में जब्त किया गया था वाहन :

यह मामला पुलिस द्वारा डोडा की तस्करी के दौरान जब्त किये गये वाहन से जुड़ा है. प्रार्थी अनीता देवी ने प्रार्थी ने जब्त मोटरसाइकिल को रिलीज करने के लिए चतरा की निचली अदालत में याचिका दायर की थी, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया था. इसके बाद प्रार्थी ने याचिका दायर कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी.

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