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जिन बहुमंजिली इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग बना हुआ है, वह मेंटेन होता है या नहीं : हाइकोर्ट

झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में नदियों और जल स्रोतों के अतिक्रमण तथा साफ-सफाई को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज पीआइएल पर सुनवाई की.

रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में नदियों और जल स्रोतों के अतिक्रमण तथा साफ-सफाई को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज पीआइएल पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान एमीकस क्यूरी का पक्ष सुनने के बाद मौखिक रूप से पूछा कि जिन बहुमंजिली इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया गया है, वह मेंटेन होता है या नहीं. वह सिस्टम काम कर रहा है या नहीं. रांची नगर निगम को इसकी जानकारी देने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने यह भी कहा कि गर्मी में लोगों को पेयजल का संकट नहीं हो, इसका ध्यान रखें. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 16 मई की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व मामले के एमीकस क्यूरी अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने खंडपीठ को बताया कि रांची नगर निगम ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग वाली मल्टी स्टोरी बिल्डिंग की सूची दी है, लेकिन यह नहीं बताया गया है कि वह सिस्टम काम कर रहा है या नहीं अथवा खराब हो गया है. इसकी कोई जांच नहीं होती है. जो रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया है, वह काम कर रहा है या नहीं, इसकी जांच समिति बनाकर करने का उन्होंने सुझाव दिया. वहीं रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने पैरवी की. पिछली सुनवाई में नगर निगम की ओर से बताया गया था कि 710 अपार्टमेंट में से 648 में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया जा चुका है. 62 अपार्टमेंट में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं है. उन्हें रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनाने के लिए कहा गया है. 300 स्क्वॉयर मीटर या उससे ऊपर के भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग करना अनिवार्य है. इसका पालन नहीं करनेवाले भवन मालिकों और अपार्टमेंट के निवासियों से डेढ़ गुना अतिरक्ति होल्डिंग टैक्स वसूला जा रहा है. ज्ञात हो कि नदियों और जल स्रोतों के अतिक्रमण व साफ-सफाई के मामले को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए वर्ष 2011 में उसे पीआइए में तब्दील कर दिया था.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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