गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे एचइसी में उत्पादन लगातार कम होता जा रहा है. स्थिति यह हो गयी है कि कंपनी अपने स्थापना काल से लेकर वित्तीय वर्ष 2021-22 तक सबसे खराब स्थिति में है. एचइसी के अधिकारी ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में महज 60 से 70 करोड़ रुपये का ही उत्पादन होने की संभावना है. इसका मुख्य कारण कच्चे माल की घोर कमी है. फिलहाल, एचइसी के तीनों प्लांट- एचएमबीपी, एफएफपी और एचएमटी में कई शॉप बंद पड़े हैं. कार्यादेश देनेवाली कंपनियों ने कई बार एचइसी को पत्राचार कर कार्यादेश समय पर पूरा करने का अल्टीमेटम भी दिया है. अधिकारियों को पिछले 14 माह का और कर्मियों को 13 माह का वेतन बकाया है. वेतन की मांग को लेकर अधिकारी दिसंबर से ही आंदोलनरत हैं. इसे लेकर कर्मचारियों और अधिकारियों ने कई बार केंद्र से वार्ता का भी प्रयास किया लेकिन परिणाम कुछ बेहतर नहीं निकल सकें.
ऐसे में कोई हल न निकल पाने की स्थिति में एचईसी के अधिकारी पिछले 4 महीनों से अपने वेतन की मांग को लेकर सड़क पर आंदोलनरत हैं. एक वक्त था जब 1958 में एचईसी की स्थापना हुई थी. तत्कालिन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 15 नवंबर 1963 को कंपनी को राष्ट्र को समर्पित किया था. उन्होंने एचईसी को ने मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्री का दर्जा दिया था. इसके पीछे की कहानी आजादी काल से ही शुरू होती है. तत्कालिन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू रूस गये थे. वहां उन्होंने भारी मशीनें और कंपनी देखी, तो भारत में भी ऐसी कंपनी की स्थापना का विचार किया. कंपनी स्थापित करने के लिए उन्होंने रांची को चुना. पांच सालों के अंदर 15 नवंबर 1963 में इसकी शुरुआत हो गयी.