रांची : बंदी के मुहाने पर HEC, लक्ष्य 216 करोड़, उत्पादन दिसंबर तक महज 25 करोड़
एचइसी के तीनों प्लांटों में पिछले छह माह से उत्पादन लगभग ठप पड़ा है. यह वित्तीय स्थिति खराब होने का सबसे प्रमुख कारण है. वहीं पानी का खर्च पहले की तरह ही हो रहा है.
रांची : बंदी के मुहाने पर खड़े एचइसी की हालत दिनोंदिन खराब होती जा रही है. कर्मियों के 18 माह का वेतन बकाया हो गया है. देनदारी प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. बिजली विभाग ने एचइसी को बकाया 140 करोड़ का भुगतान करने के लिए पत्र लिखा है. एचइसी स्थापना काल से लेकर अभी तक के सबसे खराब दौर से गुजर रहा है. चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में एचइसी ने उत्पादन लक्ष्य 216 करोड़ रुपये रखा है. लेकिन अप्रैल से लेकर दिसंबर माह तक एचइसी ने महज 25 करोड़ रुपये का उत्पादन किया है. इसमें एफएफपी में उत्पादन लक्ष्य 36 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया था, जिसमें महज चार करोड़ का ही उत्पादन किया गया है. वहीं एचएमबीपी का उत्पादन लक्ष्य 160 करोड़ रुपये था, जिसमें 20 करोड़ 80 लाख और एचएमटीपी में उत्पादन लक्ष्य 20 करोड़ के मुकाबले महज 20 लाख का उत्पादन हुआ है.
हर माह 4.57 लाख रुपये आता है पानी का बिल
एचइसी के तीनों प्लांटों में पिछले छह माह से उत्पादन लगभग ठप पड़ा है. यह वित्तीय स्थिति खराब होने का सबसे प्रमुख कारण है. वहीं पानी का खर्च पहले की तरह ही हो रहा है. एचइसी के तीनों प्लांट में कुल 83.290 किलो लीटर प्रोसेस वाटर की आपूर्ति की जाती है, जिसका शुल्क 4.57 लाख रुपये एचइसी को भुगतान करना पड़ता है. आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण अब तक पानी शुल्क का बकाया 15 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है. इधर, उत्पादन में कमी के बावजूद हर माह करीब 80 लाख रुपये का बिजली बिल आता है. वहीं विलंब चार्ज मिला कर बिल हर माह 2.5 करोड़ रुपये का हो जाता है.
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ठेका मजदूरों की स्थिति स्पष्ट करे प्रबंधन : लालदेव
रांची. हटिया कामगार यूनियन के उपाध्यक्ष लालदेव सिंह ने कहा कि सितंबर वर्ष 2023 से एचइसी के ठेका मजदूर बगैर ठेकेदार के काम कर रहे हैं. इसी कारण उनका वेतन पर्चा छप नहीं रहा है. जबकि स्थायी कर्मचारियों का वेतन पर्चा सितंबर व अक्तूबर का प्रबंधन ने दे दिया है. वहीं प्रबंधन द्वारा कहा गया था कि सितंबर व अक्तूबर माह के लिए ठेकेदार बहाल कर दिया गया है, जो गलत है. अगर ठेकेदार बहाल किया गया है, तो सप्लाई कर्मियों को पर्चा क्यों नहीं दिया जा रहा है? वहीं अब प्रबंधन द्वारा आश्वासन दिया जा रहा है कि ठेका मजदूरों की छंटनी नहीं होगी. ठेकेदार का जीएसटी मद में 2.5 करोड़ रुपये से अधिक बकाया प्रबंधन पर है. उन्होंने प्रबंधन से स्पष्ट करने की मांग की है कि एचइसी को कहां से पैसा मिलना है और ठेकेदार नहीं होने पर सप्लाई कर्मियों को वेतन भुगतान कौन करेगा.