रांची : सब कुछ ठीक रहा तो एचइसी को एनसीएल से 450 करोड़ रुपये का कार्यादेश मिल सकता है. इसके लिए एचइसी के अधिकारियों ने प्रयास शुरू कर दिया है. नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ने पांच पीजी क्रशर के लिए निविदा निकाली है. इसकी अंतिम तिथि 20 दिसंबर है. एचइसी के अधिकारी ने बताया कि देश में पीजी क्रशर सिर्फ एचइसी ही बना सकता है. वर्तमान में एनसीएल में जो क्रशर लगा हुआ है, उसमें दो का निर्माण एचइसी में हुआ है और दो को रूस की कंपनी ने डिस्पैच किया था. यह क्रशर पुराना हो गया है.
इसलिए इसके स्थान पर पांच नये क्रशर लगाये जायेंगे. इसका उपयोग मध्य प्रदेश के दुधिचूआ व जयंत कोलफील्ड में किया जायेगा. इसके लिए कंपनी ने ग्लोबल टेंडर निकाला है. अधिकारी ने बताया एचइसी को कार्यादेश मिलने में सबसे बड़ी बाधा आर्थिक परेशानी है. वर्ष 2012 में एनसीएल से एचइसी को स्पेयर पार्ट्स के लिए कार्यादेश मिला था, जिसे एचइसी ने समय पर पूरा नहीं किया था. इस कारण एनसीएल ने एचइसी को ब्लैक लिस्ट कर दिया था, जिसकी अवधि 30 दिसंबर तक है. हालांकि, एचइसी निविदा भर सकता है, लेकिन कंपनी द्वारा ब्लैक लिस्ट किये जाने के कारण इसमें संशय है. वहीं, अधिकारी ने बताया कि प्रथम चरण में एचइसी के अधिकारी 30 नवंबर को एनसीएल का दौरा करेंगे और अधिकारियों से बात करेंगे. इसके बाद सीएमडी व मंत्रालय स्तर पर वार्ता होगी. भारी उद्योग मंत्रालय भी चाहता है कि एचइसी को एनसीएल से कार्यादेश मिले. इसके लिए सकारात्मक पहल शुरू की गयी है.
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आर्थिक संकट से गुजर रहे एचइसी के स्थायी कर्मियों को मेडिक्लेम की सुविधा नहीं मिल रही है. इस कारण कर्मी व उनके परिजन परेशान हैं. इसको लेकर कर्मी व परिजन विभिन्न श्रमिक संगठनों व मुख्यालय का चक्कर काट रहे हैं. बीमार कर्मियों का कहना है कि समय पर इलाज की सुविधा नहीं मिलने से परेशानी और बढ़ गयी है. एक तो नियमित वेतन नहीं मिल रहा है, वहीं वेलनेस सेंटर में समुचित दवाएं नहीं मिल रही हैं. इधर, हटिया मजदूर यूनियन के अध्यक्ष भवन सिंह ने कहा कि प्रबंधन की लेटलतीफी के कारण कर्मियों की परेशानी बढ़ गयी है. 80 प्रतिशत कर्मी उत्पादन ठप रहने व एचइसी भविष्य में चलेगा या नहीं, यह सोच कर मानसिक रूप से बीमार हो गये हैं. ऐसे में कर्मी पहले भोजन की व्यवस्था करें या दवाई खरीदें. उन्होंने प्रबंधन से जल्द से जल्द कर्मियों का मेडिक्लेम कराने की मांग की.