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147 दिनों बाद जेल से बाहर आये हेमंत

बड़गाईं अंचल की 8.86 एकड़ जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉउंड्रिंग मामले में आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को झारखंड हाइकोर्ट से बड़ी राहत मिल गयी है.

वरीय संवाददाता (रांची).

बड़गाईं अंचल की 8.86 एकड़ जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉउंड्रिंग मामले में आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को झारखंड हाइकोर्ट से बड़ी राहत मिल गयी है. हाइकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने शुक्रवार को उनकी याचिका को स्वीकार करते हुए जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. शुक्रवार को हाइकोर्ट से जमानत का आदेश मिलने के बाद मंत्री बसंत सोरेन व कांग्रेस नेता कुमार गौरव रांची स्थित पीएमएलए के विशेष कोर्ट पहुंचे. यहां दोनों ने बतौर जमानतदार 50-50 हजार रुपये के दो मुचलके भरे. इसके बाद पीएमएलए कोर्ट से रिहाई का आदेश बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, होटवार भेजा गया. इसके बाद हेमंत को लेने पत्नी कल्पना सोरेन, भाई बसंत सोरेन व मंत्री हफिजुल पहुंचे जेल पहुंचे. शाम 4:00 बजे हेमंत सोरेन जेल से बाहर आये. 147 दिनों बाद जेल निकल कर हेमंत सोरेन सीधे अपने पिता शिबू सोरेन के आवास पहुंचे, जहां उन्होंने माता-पिता से आशीर्वाद लिया.

अदालत ने कहा – इडी नहीं दे पाया कोई सीधा लिंक, पूरा मामला संभावनाओं पर आधारित :

अदालत ने 55 पेज में दिये गये फैसले में कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (इडी) द्वारा प्रार्थी पर बड़गाईं की 8.86 एकड़ जमीन कब्जा का जो आरोप लगाया गया है, उसके समर्थन में कोई सीधा लिंक नहीं दिखा पाया. जमीन के किसी दस्तावेज में प्रार्थी या उसके परिवार का सीधा नाम नहीं जुड़ा है. जमीन का मालिकाना हक भी हेमंत सोरेन के नाम पर नहीं है. इडी का पूरा मामला संभावनाओं पर आधारित लगता है. इस बात का कोई पक्का सबूत नहीं है कि 8.86 एकड़ जमीन के कब्जे में प्रार्थी की कोई सीधी भूमिका है. यह भी साबित नहीं होता कि इसकी आड़ में प्रार्थी ने कोई अपराध किया है. अदालत ने कहा कि पीएमएलए-2002 की धारा-50 के तहत कुछ लोगों ने बयान दर्ज कराये हैं. इन लोगों ने कहा है कि वर्ष 2010 में हेमंत सोरेन ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया. अदालत ने आश्चर्य व्यक्त किया कि जिन लोगों ने इडी के समक्ष बयान दिया कि प्रार्थी ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया, उन्होंने इसके खिलाफ कहीं शिकायत नहीं की. प्रार्थी जब सत्ता से बाहर था, तब अपनी जमीन से बेदखल किये गये ये लोग संबंधित अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज करा सकते थे और न्याय मांग सकते थे. कोर्ट ने कहा कि पीएमएलए की धारा-45 में जमानत के लिए जो दो शर्तें निर्धारित हैं, उसे प्रार्थी पूरा करता है, जिसके आधार पर प्रार्थी हेमंत सोरेन को 50,000 के जमानत बांड के साथ दो जमानतदारों को प्रस्तुत करने पर जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है. धारा-45 के तहत दो शर्तें हैं. एक शर्त है कि यदि न्यायालय को प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि प्रार्थी ने यह अपराध नहीं किया है या उसमें संलिप्त नहीं है, ऐसा प्रतीत होता है तथा दूसरा कि न्यायालय को यह लगता है कि प्रार्थी जमानत की अवधि के दौरान कोई दूसरा अपराध नहीं करेगा. इस मामले में प्रार्थी धारा-45 की दोनों शर्तें पूरा करता है, इसलिए उसे जमानत दी जाती है. पूर्व में हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर लगातार तीन दिनों तक सुनवाई चली थी. 13 जून को सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. शुक्रवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जमानत याचिका दायर की थी. मामले में वह 31 जनवरी 2024 से जेल में हैं.

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