झारखंड आंदोलनकारियों को गांव-गांव से चिन्हित कर रही है हेमंत सरकार, अब तक 10 हजार की हुई पहचान

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गांव-गांव में आंदोनकारी व आंदोलन में डुगडुगी बजा कर संदेश देने वालों को भी सम्मानित करने का निर्देश आयोग को दिया है. वर्तमान में 10 हजार 500 आंदोलनकारी चिह्नित किये गये हैं. वहीं, राज्य सरकार ने विभिन्न गोलीकांड में मारे गये आंदोलनकारियों के 17 परिजनो को नौकरी दी है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 3, 2023 12:59 PM

Jharkhand News: राज्य सरकार झारखंड आंदोलनकारियों को गांव-गांव से चिह्नित करना चाहती है. झारखंड आंदोलन में भूमिका निभाने वालों को सम्मानित करना चाहती है. आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग के जिम्मे यह काम है. राज्य में 2012 तक लगभग 35 सौ आंदोलनकारी चिह्नित हुए थे. वर्तमान में 10 हजार 500 आंदोलनकारी चिह्नित किये गये हैं. इसमें पेंशन पाने वाले और पेंशन रहित आंदोनकारी शामिल हैं. वहीं राज्य सरकार ने विभिन्न गोलीकांड में मारे गये आंदोलनकारियों के 17 परिजनो को नौकरी दी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गांव-गांव में आंदोलनकारी व आंदोलन में डुगडुगी बजा कर संदेश देने वालों को भी सम्मानित करने का निर्देश आयोग को दिया है. वर्तमान में आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग में अध्यक्ष दुर्गा उरांव और दो सदस्य हैं. नरसिंह मुर्मू और भुनेश्वर महतो सदस्य हैं. सदस्य भुनेश्वर महतो का भी मानना है कि आयोग के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं. समिति संसाधनों में काम कर रहे हैं. हजारों की संख्या में पहले से आवेदन लंबित हैं. अब राज्य के 24 जिला में घूम कर आंदोलनकारियों को चिह्नित करना आसान काम नहीं है. खास कर डुगडुगी बजानेवाले आंदोलनकारियों को चिह्नित करने के लिए संसाधन की जरूरत होगी. इस पर सरकार को विचार भी करना चाहिए.

‘सीएम की भावना सराहनीय’

सदस्य भुनेश्वर महतो का कहना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भावना सराहनीय है. सीएम का मानना है कि यह आंदोलन बड़ा था. इसमें केवल गिरफ्तार होनेवालों की भूमिका नहीं है. समाज का हर वर्ग लगा था. संस्कृति कर्मी से लेकर बुद्धिजीवी लगे थे. काफी सारे लोगों का योगदान और बलिदान रहा है. श्री महतो ने कहा कि 2012 तक मात्र साढ़े तीन हजार लोग चिह्नित हुए थे. आज यह संख्या दस हजार पार है.

डुगडुगी बजाने वालों का पता लगाना भी दायित्व

सदस्य भुनेश्वर महतो ने कहा कि अभी सरकार की ओर से कोई गाइडलाइन नहीं आयी है. लेकिन आंदोलनकारी व नेतृत्व कर्ता की जिम्मेवारी है कि वह डुगडुगी बजाने वालों की जानकारी दें. तब गांव के हाट-बाजार में डुगडुगी बजा कर आंदोलन की तिथि, समय और सभा की जानकारी दी जाती थी. चयन में गड़बड़ी की आशंका भी है. लेकिन इस आशंका को खत्म करने का दायित्व आंदोलनकारियों का ही होगा.

17 को मिली है अब तक नौकरी, आयोग के पास संसाधन की कमी

  • आयोग के पास वित्तीय अधिकार नहीं है. गृह विभाग के अधीन कार्यरत हैं

  • आयोग के अध्यक्ष और सदस्य को मानदेय व एक-एक गाड़ी मिली है

  • आयोग के अध्यक्ष व सदस्य को महीने में 225 लीटर डीजल देय है

  • इस समय आयोग के पास 20 से 25 कर्मचारी हैं

  • अध्यक्ष से मिले विधायक और आंदोलनकारी

झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के मुख्य संरक्षक व विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने झारखंड आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग के अध्यक्ष दुर्गा उरांव से मुलाकात की. आयोग के अध्यक्ष से मिलकर आंदोलनकारियों के आवेदनों का निष्पादन युद्ध स्तर पर करने का आग्रह किया. अध्यक्ष दुर्गा उरांव ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारियों को चिह्नित करने की दिशा में कोई कोताही नहीं की जा रही है. मौके पर संघर्ष मोर्चा के संस्थापक पुष्कर महतो, देवीदयाल महतो, सुखलाल यादव, इजहार राही, जितेंद्र सिंह, राजीव रंजन, गीता देवी, छत्रु राम, मोहम्मद फारूक आजम, मोहम्मद मुस्लिम अंसारी, नसीम अंसारी सहित कई लोग मौजूद थे.

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