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मॉब लिंचिंग मामले में सख्त हुई हेमंत सरकार, केसों के त्वरित निपटान के लिए गठित होगा फास्ट ट्रैक कोर्ट

झारखंड के संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने विधानसभा की कार्यवाही के दौरान एक लिखित सवाल के जवाब में कहा कि झारखंड में साल 2016 से लेकर अब तक मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या) की करीब 46 मामलों को अंजाम दिया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 14, 2022 1:30 PM

रांची : झारखंड में पिछले कुछ सालों के दौरान हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर सूबे की हेमंत सरकार ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए अहम कदम उठाया है. राज्य सरकार ने मॉब लिंचिंग के मामलों के त्वरित निपटान के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन करने का फैसला किया है, ताकि इसके पीड़ितों को जल्द से जल्द त्वरित न्याय उपलब्ध कराया जा सके.

झारखंड के संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने विधानसभा की कार्यवाही के दौरान एक लिखित सवाल के जवाब में कहा कि झारखंड में साल 2016 से लेकर अब तक मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या) की करीब 46 मामलों को अंजाम दिया गया है. उन्होंने सदन को बताया कि मॉब लिंचिंग की इन घटनाओं में करीब 51 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, जबकि इसके पीड़ितों को करीब 19,900 रुपये मुआवजा के तौर पर आवंटित किए गए हैं. उन्होंने सदन को बताया कि मॉब लिंचिंग मामलों के त्वरित निपटान के लिए फास्ट ट्रैक के गठन करने का मामला सरकार के पास विचाराधीन है.

बताते चलें कि बगोदर के विधायक विनोद सिंह ने सदन में अल्पकाल के दौरान सदन में मॉब लिंचिंग का मामला उठाया था. उन्होंने सदन में कहा कि झारखंड में वर्ष 2016 से लेकर 2021 तक मॉब लिंचिंग की करीब 58 घटनाओं को अंजाम दिया गया. उन्होंने कहा कि हजारीबाग के करियातपुर में रूपेश पांडेय और बगोदर के खतको में सुनील पासी की मॉब लिंचिंग में हत्या कर दी गई.

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विधायक विनोद सिंह ने कहा कि इन मामलों में अभी तक किसी को सजा नहीं दी गई है. उन्होंने सदन को यह भी बताया कि सरकार की ओर से मॉब लिंचिंग के पीड़ितों को आर्थिक मदद के तौर पर सहयोग राशि भी मुहैया नहीं कराई गई है. उन्होंने सदन में सरकार से मॉब लिंचिंग की घटनाओं को अंजाम देने वाले दोषियों को सजा दिलाने और पीड़ित परिवार को मुआवजा दिलाने की मांग भी की.

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