रांची. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के फेसबुक एकाउंट से पोस्ट किया गया कि इस चुनाव में झारखंड ने 84 वर्षीय जेसुइट पादरी और आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की हिरासत में हुई अनुचित मौत का बदला लेने की शुरुआत की है. उनकी मौत भारत की लोकतंत्र और मानवाधिकारों की स्थिति पर एक काला धब्बा है. दशकों से आदिवासी समुदायों के अधिकारों के लिए वकालत एवं लड़ाई लड़ने वाले फादर स्टेन के उच्च आयु और पार्किंसंस रोग के बावजूद, उन्हें भाजपा सरकार द्वारा लगाये गये झूठे आतंकवाद के आरोपों पर जमानत और समुचित चिकित्सा उपचार से वंचित रखा गया. पानी पीने के लिए 25 पैसे का स्ट्रॉ नहीं दिया गया. जेल की स्थितियों से बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण, फादर स्टेन की दुर्भाग्यपूर्ण मौत पांच जुलाई, 2021 को हिरासत में हो गयी. उनकी मौत आतंकवाद के बहाने से विपक्ष एवं आदिवासियों को दबाने और मानवाधिकार कार्य को अपराधीकरण करने की भाजपा की नीति का उदाहरण है.
स्टेन स्वामी की तरह ही जुल्म हेमंत पर हो रहा है
हेमंत के एकाउंट से लिखा गया है कि जैसे सबसे कमजोर वर्ग के लिए आवाज उठाने वाले फादर स्टेन को संस्थागत उपेक्षा और अन्याय से चुप कराया गया, आज उसी तरह का जुल्म हेमंत सोरेन पर हो रहा है .आज जरूरत है हर एक झारखंडी को हेमंत सोरेन के पक्ष में मजबूती के साथ खड़ा होने की, वरना ये झारखंड को मणिपुर बनाने से बाज नहीं आयेंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है