हेमंत सोरेन : 16 साल में छात्र नेता से राज्यसभा सांसद, विधायक और 4 बार झारखंड का मुख्यमंत्री बनने का सफर

Hemant Soren: हेमंत सोरेन झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री बन चुके हैं. 16 साल के राजनीतिक जीवन में छात्र नेता से राज्यसभा सांसद, विधायक और 4 बार झारखंड का मुख्यमंत्री बनने का कीर्तिमान बनाया है.

By Mithilesh Jha | November 28, 2024 4:26 PM

Hemant Soren: हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में चौथी बार शपथ ले चुके हैं. इसके साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष ने एक इतिहास रच दिया है. वह पहले राजनेता बन गए हैं, जिन्होंने 4 बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है.

1990 में हेमंत सोरेन ने पटना से पास की मैट्रिक की परीक्षा

झारखंड के जुझारू आदिवासी नेता शिबू सोरेन और रूपी सोरेन के घर जन्म लेने वाले हेमंत सोरेन की शुरुआती शिक्षा बोकारो जिले में हुई. सेंट्रल स्कूल में पढ़ाई करने के बाद पटना के एमजी हाई स्कूल से वर्ष 1990 में मैट्रिक की परीक्षा पास की. पटना से ही साइंस में इंटर की भी परीक्षा पास की.

2003 में छात्र नेता के रूप में राजनीति में रखा कदम

बाद में उनका दाखिला रांची के बीआईटी में इंजीनीयरिंग में कराया गया. हालांकि, वह पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए. वर्ष 2003 में राजनीति में हेमंत सोरेन ने कदम रखा. उन्हें झारखंड छात्र मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया. 24 जून 2009 को वह राज्यसभा के लिए चुने गए. 10 अगस्त 1975 को जन्मे हेमंत सोरेन महज 7 महीने तक उच्च सदन के सदस्य रहे.

2009 में दुमका विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए

23 दिसंबर 2009 को वह दुमका (एसटी) विधानसभा सीट से विधायक चुने गए. इसके बाद 4 जनवरी 2009 को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. कुछ ही समय में हेमंत सोरेन ने राजनीति की ऊंचाइयों को छुआ. महज 16 साल के राजनीतिक करियर में उन्होंने 4 बार मुख्यमंत्री बने. इसके पहले मंत्री और उप-मुख्यमंत्री भी रहे.

हेमंत सोरेन : 16 साल में छात्र नेता से राज्यसभा सांसद, विधायक और 4 बार झारखंड का मुख्यमंत्री बनने का सफर 3

शिबू सोरेन, अर्जुन मुंडा के 3 बार सीएम बनने का रिकॉर्ड तोड़ा

हेमंत सोरेन ने अपने पिता शिबू सोरेन का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया. शिबू सोरेन 3 बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने. हालांकि, वह कभी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में पहली बार वर्ष 2019 में झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला, लेकिन कथित जमीन घोटाला मामले में उन्हें जेल जाना पड़ा और लगाातर 5 साल सरकार चलाने का रघुवर दास का रिकॉर्ड वह नहीं तोड़ पाए.

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