रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने एक बार फिर केंद्र सरकार के पास बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये का मुद्दा उठाया है. अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए श्री सोरेन ने राज्य की जनता से अपने हक के लिए आवाज उठाने का आह्वान किया है. सीएम ने लिखा है : क्या आपने कभी सोचा है कि किसी भाजपा नेता ने राज्यवासियों का बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये क्यों नहीं मांगा? झारखंड ने पिछले तीन लोकसभा चुनावों में 12/14, 12/14, 9/14 सांसद भाजपा को जिताये. फिर भी उन्होंने हम झारखंडियों का हक क्यों नहीं मांगा?
क्या लिखा सीएम ने
सीएम हेमंत सोरेन ने लिखा कि मुझे एक बोगस मामले में जेल में डाला गया, क्योंकि वे मुझे चुप कराना चाहते हैं. वे चाहते हैं कि मैं अपने राज्य का हक मांगना छोड़ दूं. वे मुझे वापस जेल डाल दें, तब भी मैं मरने दम तक संघर्ष करूंगा और हक मांगूगा. सोरेन ने कहा कि आज झारखंड में उन्होंने केंद्र से लेकर राज्य तक अपनी पूरी शक्ति लगा रखी है, ताकि किसी तरह मुझे रास्ते से हटा सकें और झारखंडियों का हक मार लें. हम न भीख मांग रहे, न किसी अन्य राज्य की तरह विशेष पैकेज, हम तो सिर्फ अपना हक मांग रहे हैं. इसलिए आज मुझे अपने वीर झारखंडियों का साथ चाहिए. अगर आप आज अपना हक नहीं मांगेगे, तो हमारे पैसों से दूसरे राज्यों को विशेष पैकेज मिलेगा और आप खाली हाथ रह जायेंगे. आज आवाज उठाइए. अपने अधिकारों के लिए खड़े होइए. झारखंड का भविष्य आपके हाथों में है.
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केंद्र ने देश के नागरिकों को गहरे संकट में डाला
सीएम हेमंत सोरेन ने एक अन्य पोस्ट कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. लिखा है : पिछले कुछ वर्षों में केंद्र की नीतियों ने देश के आम नागरिकों को गहरे संकट में डाल दिया है. आम आदमी की कमर टूट गयी है, जबकि कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को करोड़ों की रियायतें मिल रही हैं. महंगाई आसमान छू रही है, रोजगार के अवसर की मांग बढ़ रही है, पर छोटे उद्यमियों को कर्ज नहीं मिल रहा. सरकारी संपत्तियों का कौड़ियों के भाव बेचा जाना चिंताजनक है.
सीएम ने केंद्र सरकार को सुझाव भी दिये
- आर्थिक नीतियों में सुधार कर छोटे व्यवसाय, छोटे दुकानदारों को सहयोग करें (सिर्फ बड़े उद्योगपतियों के बड़े रिटेल चेन को नहीं), किसानों की एमएसपी समेत अन्य मांगों पर ध्यान दें
- शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन में निवेश बढ़ाएं. खासकर शिक्षा में बजट कटौती की जगह और ज्यादा निवेश की जरूरत है. स्वास्थ्य में अबुआ स्वास्थ्य जैसे क्रांतिकारी फैसले लेने की जरूरत है.
- संतुलित विकास-पर्यावरण और ग्रामीण-शहरी समानता. जंगल बचेगा, तो हम बचेंगे वरना भीषण गर्मी, बरसात, पर्यावरण नुकसान हमें नेस्तोनाबूत कर देंगे. हसदेव जैसे जंगल को कटने से बचाना था.
- आदिवासी-दलितों-पिछड़ों पर अन्याय बंद कर उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने के लिए खुले दिल से नीतियां बनाने की जरूरत है, ताकि वे देश को और आगे ले कर जा सकें.
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