रांची : पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जेल में पढ़ने के लिए किताबे मंगायी है. उनकी पत्नी कल्पना सोरेन यह पुस्तक लेकर रविवार को जायेंगी. हेमंत ने झारखंड आंदोलन का दस्तावेज, शोषण, संघर्ष और शहादत, भारत का संविधान एक परिचय तथा पूअर इकोनॉमिक्स पुस्तक मंगायी है. इसकी जानकारी कल्पना सोरेन ने सोशल मीडिया के माध्यम से दी है. उन्होंने लिखा है कि हेमंत जी ने पढ़ने के लिए किताबें मांगी हैं. उन्हें यह किताबें देने जाऊंगी. इससे पहले भी हेमंत जी ने झारखंड आंदोलन, मुंडारी, हो और कुड़ुख भाषा, आदि से जुड़ी किताबें पढ़ने के लिए मंगायी थी.
हेमंत जी को किताबें पढ़ने का हमेशा से शौक रहा है. वह घर में अपनी किताबों को बहुत प्रेम से संजो कर रखते हैं. अन्य किताबों के साथ-साथ झारखंड और झारखंड आंदोलन से जुड़ी किताबें वह हमेशा विशेष रुचि ले कर पढ़ते रहे हैं. राज्य की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने उनसे मिलने वाले सभी लोगों से ‘बुके नहीं बुक’ देने की अपील की थी. जिसके परिणामस्वरूप पिछले चार वर्षों में उन्हें हजारों किताबें मिली. राज्य, शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़े, यही हेमंत जी का सपना रहा है.
राज्य की हर पंचायत में आमजन के लिए लाइब्रेरी खोलने की उनकी इच्छा आज हमें कई जगह देखने को मिलती है. सरकारी स्कूलों में उत्कृष्ट पढ़ाई हो, बच्चों की छात्रवृत्ति में वृद्धि हो, गरीब परिवार की बेटियों को आर्थिक मदद मिले, उनकी पढ़ाई न छूटे, वंचित समाज के युवा भी अपने सपनों को साकार करते हुए विदेश में शिक्षा ले सकें, हेमंत जी का यही संकल्प रहा है. भाजपा अपने कुचक्रों से उन्हें कुछ तो देर तो परेशान कर सकती है. पर एक झारखंडी योद्धा की सोच और संकल्प को वह कैसे दबा पायेगी? राज्य में शिक्षा की जो क्रांति हेमंत जी ने शुरू की है, वह निरंतर आगे बढ़ रही है. झारखंड ने झुकना नहीं, सिर्फ आगे बढ़ना सीखा है.