जेल में हेमंत सोरेन ने मांगी दूध, रोटी और फूलगोभी की सब्जी, ED की रिमांड पर आज फैसला सुनाएगी विशेष आदालत
गुरुवार की शाम हेमंत सोरेन को एक दिन की न्यायिक हिरासत में होटवार जेल भेजा गया है. हेमंत को अपर डिवीजन सेल एक नंबर में रखा गया. उनकी रात जेल में ही बीती. डिनर में उन्होंने दूध, रोटी और फूलगोभी की सब्जी खाने की इच्छा जतायी. आज पीएमएलए की विशेष आदालत ईडी की रिमांड पर फैसला सुनाएगी.
ईडी द्वारा गिरफ्तार पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को गुरुवार की शाम 4:55 बजे होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा लाया गया. उन्हें अपर डिवीजन सेल के बी ब्लॉक के एक नंबर सेल में रखा गया है. उन्होंने जेल प्रशासन से रात में दूध, रोटी और फूलगोभी की सब्जी खाने की इच्छा जतायी. उस सेल के बगल में पूर्व विधायक राजा पीटर भी रह चुके हैं. पहले उन्हें राजा पीटर वाले सेल में रखा जाना था, लेकिन उसमें सीपेज होने के कारण हेमंत सोरेन को अपर डिवीजन सेल एक नंबर में रखा गया. इसके पहले भारी सुरक्षा के बीच ट्रैफिक पुलिस हुटर बजाते हुए हेमंत सोरेन को लेकर जेल पहुंची. ईडी के अधिकारियों के चार वाहनों को भी पुलिस स्कॉट कर रही थी. इसके बाद इडी टीम की कार (जेएच 01 डीजी-0835), जिसमें हेमंत सोरेन बैठे थे, उसे केंद्रीय कारा परिसर में ले जाया गया.
ईडी ने मांगी 10 दिनों की रिमांड, इस पर दो फरवरी को फैसला
मालूम हो कि रांची के बड़गाई अंचल स्थित 8.46 एकड़ जमीन को लेकर हुए मनी लाउंड्रिंग मामले में हेमंत सोरेन को 31 जनवरी 2024 की रात को गिरफ्तार किया गया था. ईडी ने मामले में गिरफ्तार आरोपी निवर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गुरुवार को पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश दिनेश राय की अदालत में दोपहर 2.32 बजे पेश किया. सुनवाई 4.26 बजे तक चली. इस दौरान ईडी ने हेमंत से पूछताछ के लिए कोर्ट से 10 दिनों की रिमांड मांगी. रिमांड पर फैसले के लिए दो फरवरी की तिथि निर्धारित है.
ईडी की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल कुमार ने और हेमंत सोरेन की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बहस की. बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने हेमंत सोरेन को न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, होटवार (रांची) भेज दिया. बता दें कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी ईडी की ईसीआइआर संख्या आरएनजेडओ/25/23 मामले में की गयी है. इडी ने यह ईसीआइआर सदर थाने में राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप प्रसाद के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आधार पर की थी. ईडी ने मामले की प्रारंभिक जांच में पाया था कि बड़गाईं अंचल में डीएवी बरियातू के पीछे 8.45 एकड़ जमीन पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कब्जा है.
हेमंत के पैरवीकार महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट में कहा –
यह केस बिल्कुल ही मनगढ़ंत हैं. यह लोकतांत्रिक तरीके से चुने गये मुख्यमंत्री को हटा कर उनकी सरकार गिराने की साजिश है. किसी ने कह दिया कि मेरे नाम पर आठ एकड़ जमीन है, तो क्या वह जमीन मेरा हो जायेगा. वह भुईंहरी जमीन है. इस जमीन का ट्रांसफर नहीं हो सकता है. उस जमीन पर हमारा कब्जा भी नहीं है. वह जमीन हमारे नाम पर भी नहीं है. इसका कोई म्यूटेशन रिकॉर्ड हमारे नाम पर नहीं है. राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप प्रसाद के मामले में जो केस इडी ने राज्य सरकार से साझा किया है, उसमें कहा गया है कि यहां से टेंपरिंग के रिकॉर्ड मिले हैं. उसमें हमारा नाम नहीं है, जबकि उसके आधार पर एफआइआर दर्ज हुआ है.
ईडी की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल कुमार ने कहा-
मुख्यमंत्री रहते हेमंत सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग किया है. ईडी की ओर से समन देने के बाद भी नहीं आते थे. कोई न कोई बहाना बना देते थे. अंत में 27 से 31 जनवरी के बीच में जब इनसे समय मांगा गया, तो 28 जनवरी की शाम तक बिना कोई सूचना दिये दिल्ली चले गये. इनके दिल्ली स्थित घर से 36 लाख रुपये बरामद हुए हैं. कई दस्तावेज भी बरामद हुए हैं. मुख्यमंत्री को अपनी बात बताने के लिए कई अवसर दिये गये, लेकिन वह समन को नजरअंदाज करते रहे. रांची पुलिस ने प्राथमिकी में से धारा 120बी को हटा दिया था. इस संबंध में चीफ सेक्रेटरी को कई बार बोला गया, लेकिन उन्होंने कोई प्राथमिकी नहीं करायी. जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री नहीं रहे, तो ऐसे में महाधिवक्ता के उनके पक्ष में कोर्ट में खड़े होने पर भी उन्होंने आपत्ति की.
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