रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को झारखंड मंत्रालय में ‘झारखंड आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग’ के अध्यक्ष एवं सदस्यों के साथ बैठक की. इस दौरान उन्होंने 15-20 दिनों के अंदर गांव-गांव जाकर आंदोलनकारियों और आंदोलनकारी परिवार के सदस्यों को चिह्नित करने का निर्देश दिया. सीएम ने कहा कि झारखंड अलग राज्य के आंदोलन में डुगडुगी बजानेवालों को भी आंदोलनकारी के रूप में चिह्नित किया जाना चाहिए. श्री सोरेन ने कहा : मुझे याद है कि किस प्रकार डुगडुगी बजाकर यह संदेश दिया जाता था कि आंदोलनकारी किस समय, किस स्थान पर एकजुट होकर बैठक करेंगे. मेरा मानना है कि अलग झारखंड राज्य के निर्माण में डुगडुगी बजनेवाले की भी उतनी ही भूमिका है, जितना अपना सर्वस्व न्योछावर करनेवाले आंदोलनकारियों की.
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक आंदोलनकारी परिवार की पीड़ा एक आंदोलनकारी परिवार का बेटा ही समझ सकता है. आज झारखंड का नेतृत्व एक आंदोलनकारी का बेटा कर रहा है. मैं आंदोलनकारी तथा उनके परिवार के सदस्यों की पीड़ा को अच्छी तरह से समझ सकता हूं. आप समझ सकते हैं कि अलग झारखंड राज्य की लड़ाई में जिस बेटे के पिता ने अपने प्राणों की आहुति दी है, उस बेटे पर क्या गुजरती होगी. वैसे लोगों का भविष्य कौन संवारेगा?
सीएम ने कहा कि जल्द राज्य के आंदोलनकारी तथा उनके परिवारों का चिह्नितीकरण कार्य पूरा कर उनकी हर समस्याओं का निदान हमारी सरकार करेगी. बैठक में झारखंड चिह्नितीकरण आयोग के अध्यक्ष दुर्गा उरांव, सदस्य भुवनेश्वर महतो व नरसिंह मुर्मू, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वंदना दादेल और मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे उपस्थित थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि अलग झारखंड राज्य का गठन होना एक बड़ी उपलब्धि थी. अलग झारखंड राज्य की परिकल्पना को साकार करने के लिए लाखों की संख्या में आंदोलनकारियों ने प्राणों की आहुति दी है. राज्य के विभिन्न रिसोर्स, संपत्ति पर पहला अधिकार आंदोलनकारी अथवा उनके परिवार का होना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व की राज्य सरकार अलग झारखंड राज्य के आंदोलनकारियों की संख्या को घटा कर 25 हजार से 30 हजार में समेटना चाहती थी.
पूर्व की सरकारों ने आंदोलनकारियों को अपमानित किया है. वर्तमान राज्य सरकार गांव-गांव में जाकर एक-एक आंदोलनकारी परिवार तक पहुंचने का प्रयास कर रही है. हमारी सरकार का लक्ष्य है कि एक-एक आंदोलनकारी अथवा उनके परिवार को पूरे मान-सम्मान के साथ उनका अधिकार दिया जाये. इस निमित्त सरकार गठन के बाद से ही हमारा निरंतर प्रयास जारी है. हमारा प्रयास है कि हम वैसे आंदोलनकारियों अथवा उनके परिवार को पूरा मान-सम्मान के साथ हर रूप में सहयोग करें.