Hemant Soren Gift: रांची-झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को पौने दो लाख से अधिक किसानों को बड़ी सौगात दी है. उन्होंने 400 करोड़ से अधिक का कृषि लोन माफ कर दिया. राजधानी रांची के प्रभाततारा मैदान में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने डीबीटी के जरिए राशि का हस्तांतरण किया. मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बीजेपी और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि काला कानूनों के जरिए केंद्र सरकार किसानों का हक मारने की फिराक में थी, लेकिन किसानों ने आंदोलन के जरिए एकजुटता दिखाकर सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया था. राज्य सरकार हर समय किसानों के साथ है. उनकी आर्थिक मजबूती राज्य सरकार का लक्ष्य है और इसी दिशा में ये कदम उठाया गया है. मौके पर मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव, कृषि मंत्री दीपिका पांडेय सिंह, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर समेत अन्य मौजूद थे.
किसानों को हेमंत सोरेन सरकार का बड़ा तोहफा
झारखंड के कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की ओर से गुरुवार को धुर्वा के प्रभाततारा मैदान में झारखंड कृषि ऋण माफी योजना कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. सीएम हेमंत सोरेन ने 400 करोड़ से अधिक की कृषि ऋण की राशि हस्तांतरित की. 1 लाख 76 हजार 977 किसानों के 400 करोड़ 66 लाख रुपए की ऋण अदायगी राशि को उन्होंने डीबीटी के जरिए हस्तांतरित कर दिया. दो लाख तक के कृषि लोन को कृषि ऋण माफी योजना के तहत माफ कर किसानों को हेमंत सोरेन सरकार ने बड़ा तोहफा दिया है.
ऋण माफी जुटान नहीं, बल्कि किसानों के सम्मान का है महाजुटान
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि रांची में आज ऋण माफी जुटान नहीं है, बल्कि किसानों के सम्मान का महाजुटान है. आज किसानों के ऋण माफी के लिए हम सब एकत्रित हुए हैं. हमारे राज्य में 80 फीसदी लोग गांव-देहात में निवास करते हैं, जो खेती-बाड़ी से जुड़े हुए हैं. इसी पर इनका जीवन-यापन होता है. किसानों के पास बोरा में भरकर पैसा नहीं है. बैंक बैलेंस नहीं है. कोई एटीएम कार्ड भी नहीं है. बड़ी मुश्किल से बैंक खाता खुलता भी है तो उस खाते में पैसा मेहनत-मजदूरी करके जमा करने का प्रयास किसानों का रहता है. हमारे किसानों का बैंक खेत होता है और किसानों का एटीएम उनका खलिहान होता है.
किसान आंदोलन के जरिए केंद्र सरकार को घेरा
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि पूरे देश के किसान भारतीय जनता पार्टी की सरकार को एक साल से अधिक समय तक दिल्ली में घेर कर बैठ गए थे. दिल्ली में किसान इस तरह घेर कर बैठे कि भारत सरकार उस चहारदीवारी से बाहर नहीं निकल पा रही थी. उस आंदोलन में कई किसानों की जान भी चली गयी, लेकिन किसान डटे रहे, क्योंकि यही एनडीए भारतीय जनता पार्टी की सरकार किसानों के लिए काला कानून लेकर आ रही थी. पूरे देश के किसानों को व्यापारियों के हाथों बेचने की तैयारी हो रही थी. वैसे भी देश का सब संपत्ति ये लोग बेच चुके हैं. इस देश की रीढ़ की हड्डी, जिसे हम किसान कहते हैं, इन्हें भी बेचने की तैयारी में केंद्र सरकार थी, लेकिन किसानों ने हार नहीं मानी और इतना जबरदस्त आंदोलन किया कि आखिरकार सरकार को घुटने टेकने पड़े और तीनों काला कानूनों को वापस लेना पड़ा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस कार्यक्रम के जरिए बीजेपी और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा.
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