हेमंत सोरेन सरकार के सामने इन 5 चुनावी वादों को पूरा करने की चुनौती
Hemant Soren: हेमंत सोरेन ने शपथ ग्रहण कर लिया है. लेकिन सत्ता में लौटते ही उनकी सरकार के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं, जिसे पूरा करना जरूरी है.
रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चौथी बार झारखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है. साल 2024 के विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल की. भले ही हेमंत सोरेन सरकार लगातार दूसरी बार सत्ता में वापस आ गयी है लेकिन उनके सामने कई चुनौतियां हैं. आज हम उन्हीं चुनौतियों को आपके सामने रखेंगे.
रोजगार
झारखंड में रोजगार आज भी सबसे बड़ा मुद्दा है. इससे पहले के कार्यकाल में भी हेमंत सोरेन सरकार पर नौकरी के मुद्दे पर खूब सवाल उठा था. वहीं, चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन ने 10 लाख लोगों को रोजगार देने की बात कही थी. इतने लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार क्या कदम उठायेगी ये अब भी बड़ा सवाल है. समय पर प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन न होना भी राज्य में बड़ी समस्या है. हालांकि, मुख्यमंत्री ने अपने पहले ही कैबिनेट में साल 2025 का परीक्षा कैलेंडर 1 जनवरी से पहले जारी करने का निर्देश दे दिया है.
मंईयां सम्मान योजना की बढ़ी राशि के लिए पर्याप्त की बजट की व्यवस्था
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चुनाव से ठीक पहले मंईयां सम्मान की राशि 2500 करने का फैसला लिया था. जानकारी के मुताबिक ये राशि लाभुकों के खाते में 11 दिसंबर तक भेज दी जाएगी. हर माह इतनी राशि भेजने से सरकार पर 9000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. इसके लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था करना जरूरी है.
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खतियान के आधार पर स्थानीयता नीति लागू करना
झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन ने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता नीति लागू करने का वादा था. इससे पहले भी हेमंत सोरेन सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में इस बिल को विधानसभा से पारित कर राजभवन भेज दिया था. अब सबसे बड़ी चुनौती सरकार के सामने ये है कि वह कैसे इसे लागू करेगी.
सरना धर्म कोड
इंडिया गठबंधन ने चुनाव के पहले सरना धर्म कोड लागू करने की भी बात कही थी. इससे पहले के कार्यकाल में भी सीएम हेमंत सोरेन ने विशेष सत्र बुलाकर सरना धर्म कोड का बिल विधानसभा से पास कर केंद्र के पास भेज दिया था. अब इसे लागू करना बड़ी चुनौती है.
आरक्षण का दायरा बढ़ाना
इंडिया गठबंधन ने अपने सात गारंटी में 50 फीसदी आरक्षण का दायरा बढ़ाने की भी बात कही है. इसके तहत एसटी को 28 प्रतिशत, एससी को 12 और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया गया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार चुनाव प्रचार के दौरान इसका जिक्र करते थे. जबकि, 1963 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार 50 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता. हां विशेष प्रावधानों के तहत कुछ राज्यों में इसका दायरा जरूर बढ़ाया गया है.
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