CM हेमंत बोले- नीतियां बनाने में गुजरा समय, नया साल में होगा क्रियान्वयन, ED की कार्रवाई पर कही ये बात
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि जो भी नीतियां बनी है, उसे वर्ष 2023 में इंप्लीमेंटशन किया जायेगा. उन्होंने कहा कि 22 वर्षों में राज्य पिछड़ा क्यों रहा, इसका जवाब विपक्ष ही दे सकता है. लेकिन आने वाले समय में इस राज्य में जो अवसर है
29 दिसंबर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार के तीन साल पूरे हो गये. इससे पूर्व बुधवार को सीएम ने अपने आवास में पत्रकारों से बात की. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि तीन वर्षों का कार्यकाल काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा. हमने ही नहीं पूरी दुनिया ने वैश्विक चुनौतियों को झेला है. कोरोना जैसी आपदा सरकार बनते ही धमक पड़ा. इस आपदा को भी हमने अवसर में बदलने का प्रयास किया . तीन वर्ष का कार्यकाल जरूर है, पर मोटा-मोटी साल भर ही लंबी लकीर खीचने का मौका मिला है.
जो भी नीतियां बनी है, उसे वर्ष 2023 में इंप्लीमेंटशन किया जायेगा. उन्होंने कहा कि 22 वर्षों में राज्य पिछड़ा क्यों रहा, इसका जवाब विपक्ष ही दे सकता है. लेकिन आने वाले समय में इस राज्य में जो अवसर है. उन सबको देखते-समझते आगे बढ़ रहे हैं. 10 साल भी सत्ता में रहें तो राज्य को पिछड़े राज्यों की श्रेणी से खींचकर बाहर निकाल लायेंगे. राज्य के लोगों ने बीस वर्षों के अत्याचार और कुशासन का लंबा मंजर देखा है. आने वाले समय में पूर्व के बीस साल और उनके शासनकाल के तीन वर्षों का भी लोग आकलन करेंगे.
मैं पूंजीपतियों का नहीं, गरीबों, मजदूरों का प्रतिनिधि हूं :
सीएम ने कहा कि वे न तो व्यापारी हैं और ना ही पूंजीपतियों का नेतृत्व करते हैं. गरीबों, मजदूरों, भूखों के प्रतिनिधि हैं. उनके ऊपर आरोप लगाना आसान है, लेकिन ईमानदारी से काम करना मुश्किल है. वह ऐसे समाज से आते हैं जो आर्थिक, सामाजिक और बौद्धिक रूप से कमजोर है. ऐसे लोगों का नेतृत्व इनके बीच का व्यक्ति ही कर सकता है. विपक्ष (भाजपा ) मुद्दा और नेताविहीन है. इनके पास सरकार से करने के लिए सवाल ही नहीं है. ये लेट कर बस सपना देखते हैं कि लिफाफा खुल गया और हेमंत सोरेन को हथकड़ी बांध कर ले जाया जा रहा है.
कोई आश्चर्य की बात नहीं कि मुझे गिरफ्तार कर लिया जाये
ईडी और केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई से संबंधित एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि और राजनीतिक हालात को देखते हुए उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर उनकी गिरफ्तारी हो जाये, तो कोई आश्चर्य की बात नहीं. जब शिबू सोरेन गिरफ्तार हो सकते हैं तो वे किस खेत की मूली हैं. श्री सोरेन ने कहा कि शिबू सोरेन जब देश के कोयला मंत्री थे, तो विरोधियों ने उन्हें कोर्ट-कचहरी कराया. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे आदिवासी, दलित, पिछड़ा आगे बढ़ेगा, उन्हें रोकने के लिए इस तरह के षडयंत्र होंगे.
पर वो भी दिन दूर नहीं है जब ऐसे षडयंत्रकारियों के षडयंत्र सफल नहीं होंगे. पत्थर खनन लीज लेने संबंधी सवाल पर हेमंत सोरेन ने कहा कि इसका उन्हें कोई मलाल नहीं है. राजनीति में आने से पहले से उनके नाम पर खनन लीज था. वे सांसद, विधायक, डिप्टी सीएम, नेता प्रतिपक्ष से होते हुए मुख्यमंत्री बने हैं. यह सच्चाई विपक्ष को नहीं दिखता है. विधायकों की खरीद-फरोख्त और केंद्रीय एजेंसियों का टूल की तरह उपयोग किसी से छुपा नहीं है.
राज्यपाल पर साधा निशाना
सीएम ने चुनाव आयोग से प्राप्त मंतव्य का लिफाफा अब तक नहीं खुलने से जुड़े सवाल पर कहा कि राज्यपाल संवैधानिक पद है. इन पर टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए. लेकिन, कुछ घटनाओं से कभी-कभी लगता है कि ये डबल गेम तो नहीं है. राज्यपाल ने एक बयान में कहा है कि उन्हें यहां की राजनीति को समझने में वक्त लग गया. वह राजनीति करने आए हैं या राज्यपाल की हैसियत से, यह तो वही बतायेंगे.
पारसनाथ ही नहीं, बाबा धाम सहित सभी धार्मिक स्थलों पर हो रहा मंथन
सीएम सोरेन ने जैन धर्मावलंबियों की ओर से पारसनाथ सम्मेद शिखरजी पर्वत को तीर्थ स्थल ही बनाए रखने की मांग से जुड़े प्रश्न पर कहा कि सरकार केवल पारसनाथ ही नहीं, बल्कि बाबाधाम सहित अन्य धार्मिक स्थलों को भी ध्यान में रखकर मंथन कर रही है.