झारखण्ड में लगा कोविड-19 सेस, पेट्रोल-डीजल हुआ महंगा, व्यापारियों को देना होगा प्रोफेशनल टैक्स, शराब भी होगी महंगी
हेमंत सोरेन की कैबिनेट ने कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से आर्थिक वृद्धि की थमी हुई रफ्तार को गति देने के लिए पेट्रोल एवं डीजल समेत कई चीजों पर अतिरिक्त टैक्स व सेस लगा दिया है. अतिरिक्त टैक्स लगने के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान पर पहुंच गयी हैं. पूर्वी भारत में सबसे महंगा पेट्रोल-डीजल अब झारखंड में हो गया है. सरकार को अनुमान है कि इससे 144 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी. इतना ही नहीं, वन भूमि में खनन पर सेस लगाकर 500 से 600 करोड़ की अतिरिक्त आय का लक्ष्य झारखंड सरकार ने रखा है. सरकार ने व्यापारियों पर भी प्रोफेशनल टैक्स लगाने का फैसला किया है.
रांची : हेमंत सोरेन की कैबिनेट ने कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से आर्थिक वृद्धि की थमी हुई रफ्तार को गति देने के लिए पेट्रोल एवं डीजल समेत कई चीजों पर अतिरिक्त टैक्स व सेस लगा दिया है. अतिरिक्त टैक्स लगने के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान पर पहुंच गयी हैं.
सरकार को अनुमान है कि इससे 144 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी. इतना ही नहीं, वन भूमि में खनन पर सेस लगाकर 500 से 600 करोड़ की अतिरिक्त आय का लक्ष्य झारखंड सरकार ने रखा है. सरकार ने व्यापारियों पर भी प्रोफेशनल टैक्स लगाने का फैसला किया है.
बुधवार (17 जून, 2020) को कैबिनेट की बैठक में खनिजों पर टैक्स और डीजल-पेट्रोल का मूल्य बढ़ाने का फैसला किया. साथ ही प्रोफेशनल टैक्स का दायरा बढ़ाते हुए इसमें व्यापारी वर्ग को भी शामिल कर लिया. पहले इसके दायरे में सिर्फ नौकरीपेशा और प्रोफेशनल ही थे. कैबिनेट ने आठ स्थानीय निकायों में चुनाव नहीं होने के कारण प्रशासक नियुक्त करने का फैसला किया है.
कैबिनेट ने खनिजों पर सेस बढ़ाने का फैसला किया है. इसे ‘कोविड-19 सेस’ के नाम से जाना जायेगा. इसके दायरे में राज्य में कोयला सहित अन्य खनिजों का खनन करने वाली कंपनियां आयेंगी. कैबिनेट के फैसले के आलोक में प्रति मीट्रिक टन कोयला के डिस्पैच पर 10 रुपये, लौह अयस्क पर 5 रुपये, बॉक्साइट पर 20 रुपये, लाइमस्टोन पर 10 रुपये और मैंगनीज के डिस्पैच पर 5 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से सेस लगेगा.
इतना ही नहीं, कैबिनेट ने वन उपज अधिनियम में संशोधन करते हुए वन क्षेत्र से निकाले जाने वाले खनिजों जैसे डोलोमाइट, फेल्सपार, कॉपर सहित अन्य सभी खनिजों पर 57 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से सेस लगाने का फैसला किया है. इसके अलावा मोरम मिट्टी और पत्थर आदि पर 35 रुपये प्रति घन मीटर की दर से सेस लगाने का निर्णय हेमंत सोरेन सरकार ने लिया है.
कैबिनेट ने डीजल-पेट्रोल की कीमत में आंशिक वृद्धि की है. इससे अब डीजल पर 22 प्रतिशत वैट या 12.50 रुपये प्रति लीटर, इसमें जो अधिक हो, उसी दर पर वसूली जायेगी. पहले डीजल पर 22 प्रतिशत या 8.37 रुपये प्रति लीटर में से जो अधिक हो, उस दर से वसूली होती थी. पेट्रोल पर अब 22 प्रतिशत या 17 रुपये प्रति लीटर में से जो अधिक हो, उस दर पर वसूली की जायेगी. पहले यह 22 प्रतिशत या 15 रुपये प्रति लीटर था.
कैबिनेट सचिव ने बताया कि इस संशोधन से राज्य में पेट्रोल की कीमत 71.24 रुपये प्रति लीटर की जगह 73.24 रुपये प्रति लीटर हो जायेगी, जबकि डीजल का मूल्य अब 66.07 रुपये के बदले 66.83 रुपये प्रति लीटर हो जायेगा. कैबिनेट ने एविएशन टर्बाइन फ्यूल(एटीएफ) पर 4 प्रतिशत के बदले 20 प्रतिशत की दर से वैट की वसूली करने का फैसला किया है. इससे 35 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व मिलने का अनुमान है.
कैबिनेट ने प्रोफेशनल टैक्स वसूली के लिए वर्ष 2011 में बनाये गये नियम में संशोधन किया है. इसके तहत व्यापारियों को भी इस दायरे में शामिल कर लिया गया है. कैबिनेट के फैसले के आलोक में 5 लाख रुपये सालाना टर्नओवरवाले व्यापारियों से प्रोफेशनल टैक्स की वसूली नहीं होगी.
पांच से 10 लाख रुपये तक के टर्नओवर पर एक हजार रुपये सालाना, 10-25 लाख तक पर 1500 रुपये, 25-40 लाख तक पर 2000 रुपये और 40 लाख से अधिक पर 2500 रुपये सालाना प्रोफेशनल टैक्स लगेगा. इससे सरकार ने सालाना करीब 30 करोड़ रुपये के राजस्व का अनुमान है.
कैबिनेट ने स्थानीय निकायों को चुने हुए प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त होने और कोविड-19 की वजह से चुनाव नहीं कराने के मद्देनजर आठ स्थानीय निकायों में प्रशासक नियुक्त करने का फैसला किया है. जिन स्थानीय निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति होगी, उनमें देवघर,धनबाद, चास, चक्रधरपुर, झुमरीतिलैया, विश्रामपुर, कोडरमा और मझिआंव स्थानीय निकाय शामिल हैं.
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