Hemant Soren Govt@3 Years : ग्रामीण आजीविका के क्षेत्र में नये आयाम गढ़ रही बिरसा हरित ग्राम योजना
हेमंत सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक बिरसा हरित ग्राम योजना ग्रामीणों के लिए आजीविका का माध्यम बन रहा है. कोरोनाकाल में लायी गई यह योजना अब आकार ले रही है वहीं, ग्रामीणो को स्वरोजगार भी मिल रहा रोजगार. साथ ही परिसंपत्तियों का भी निर्माण हो रहा है.
Hemant Soren Govt@3 Years: हेमंत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना बिरसा हरित ग्राम योजना (Birasa Harit Graam Yojana) ग्रामीण आजीविका के लिए नये आयाम गढ़ रही है. आम्रपाली, मल्लिका प्रजाति के आम एवं अमरूद, नींबू, थाई बैर, कटहल, शरीफा, लेमन ग्रास, पल्मारोसा जैसे खुशबूदार पौधे झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी खुशबू बिखेर कर ग्रामीणों के लिए आजीविका का माध्यम बन रहे हैं.
फलीभूत होने लगा है बिरसा हरित ग्राम योजना
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मनरेगा अंतर्गत बिरसा हरित ग्राम योजना का शुभारंभ जिस मुख्य उद्देश्य से किया था, वह फलीभूत होने लगा है. आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, लघु एवं सीमांत किसानों को मनरेगा के अंतर्गत न केवल 100 दिनों का रोजगार देने, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने एवं लंबे समय तक आमदनी प्रदान करने के लिए ग्रामीणों के लिए परिसंपत्ति निर्माण का प्रयास रंग ला रहा है.
77,282 लाभुक इस योजना का उठा रहे लाभ
यही कारण है कि वित्तीय वर्ष 2020-23 में 24 जिला, 263 प्रखंड, 77282 लाभुक, 67787 एकड़ भूमि और 75,04,540 फलदार पौधे झारखंड के गांवों में लहलहा रहे हैं. वित्तीय वर्ष 2020-21 में 30023 लाभुकों को योजना का लाभ मिला, जबकि 2016 से 2020 तक बिरसा हरित ग्राम योजना से पूर्व संचालित योजना से चार वर्ष में मात्र 7741 लाभुकों को लाभ हुआ था. इसके अलावे वित्तीय वर्ष 2021-22 में लाभुकों की संख्या 23,554 और वित्तीय वर्ष 2022-23 में लाभुकों की कुल संख्या 23,423 है.
खुशबूदार और फलदार पौधों के साथ तसर कीट पालन को भी बढ़ावा
योजना के तहत गरीब परिवारों की रैयती जमीन पर मनरेगा प्रावधान के अनुरूप मुख्यतः आम, अमरूद, निम्बू आदि का मिश्रित पौधारोपण किया जा रहा है. गैर-मजरुआ भूमि एवं सड़क किनारे की भूमि जो अधिकांशतः बंजर है उसमें भी पौधरोपण कर हरा-भरा बनाया जा रहा है. प्रमुखता से गांव के अति गरीब अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, भूमिहीन आदि परिवारों को मनरेगा प्रावधान के अनुरूप किए गए पौधरोपण को भोगाधिकार के साथ जोड़कर उनके लिए आजीविका के स्थायी स्रोत के निर्माण को बल मिला है. वित्तीय वर्ष 2020-21 तक राज्य के 30023 ग्रामीणों परिवारों के 25695.33 एकड़ निजी जमीन पर लगभग 27,90,319 फलदार वृक्ष लगाये गए. इसके अतिरिक्त 150 एकड़ भूमि पर तसर कीट-पालन एवं लाह पालन के लिए अर्जुन का पौधा और सेमिआ लता का पौधरोपण हुआ है. वहीं, वित्तीय वर्ष 2021-22 तक राज्य के 23,554 लाभुकों के 20,647.8 एकड़ भूमि पर 23,12,556 फलदार वृक्ष लगाए गये. इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2022-23 तक राज्य में 23,423 लाभुक 21,294.14 एकड़ भूमि पर फलदार वृक्ष लगा रहे हैं.
क्षमतावर्द्धन और पौधों की गुणवत्ता पर भी ध्यान
राज्य सरकार का लक्ष्य सिर्फ रोजगार, आर्थिक सशक्तीकरण और परिसंपत्ति निर्माण तक ही सिमटा हुआ नहीं है, बल्कि लाभुकों के क्षमता निर्माण से भी है. इस योजना से जुड़े लाभुकों एवं मनरेगा कर्मियों का समय-समय पर क्षमतावर्द्धन के लिए राज्य स्तर पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अबतक 45 राज्य स्तरीय प्रशिक्षक, 800 प्रखंड स्तरीय मुख्य प्रशिक्षक एवं पंचायत/गांव स्तर पर 8136 बागवानी सखी/मित्र को प्रशिक्षित किया गया, जिससे लाभुकों का क्षमातावर्द्धन कराया जा सके. प्रशिक्षण का परिणाम भी सामने आ रहा है.
बागवानी संबंधित सामग्री खरीदने में गंभीरता से हो रही निगरानी
100 प्रतिशत बागवानी योजनाओं में लगाए गए पौधों की गिनती कराने पर पौधों के जीवित रहने का दर 92 प्रतिशत रहा. राज्य सरकार के स्पष्ट निदेश के आलोक में बागवानी संबंधित सामग्री खरीदने के मानक की गंभीरता से निगरानी हो रही है. गुणवत्तापूर्ण पौधों की खरीदारी के लिए राज्य स्तर पर राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त नर्सरियों को सूचीबद्ध किया गया. सूचीबद्ध नर्सरियों से ही जिला द्वारा टेंडर के माध्यम से पौधा का क्रय किया गया है.
इस योजना की मुख्य विशेषताएं
– पांच लाख परिवारों को 100-100 फलदार पौधों का पट्टा
– राज्य भर में पांच करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य
– अगले पांच साल तक पौधों को सुरक्षित रखने के लिए सहयोग
– प्रखंड एवं जिला स्तर पर प्रसंस्करण इकाई की स्थापना
– उत्पाद को सुगम रूप से बाजार उपलब्ध कराने के लिए व्यवस्था
– प्रत्येक परिवार को 50 हजार रुपये की निश्चित वार्षिक आमदनी
– मनरेगा के तहत 25 करोड़ मानव दिवस का सृजन.