सहायक पुलिसकर्मियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. एक तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दो वर्ष के लिए ‘अवधि विस्तार’ देने की घोषणा कर रहे हैं, दूसरी तरफ चार जिले आदेश जारी कर सहायक पुलिसकर्मियों का ‘सेवा मुक्ति’ का लेटर थमा रहे हैं. 10 अगस्त को सिमडेगा और दुमका, उसके बाद गुमला और लोहरदगा में सहायक पुलिस को सेवामुक्त कर दिया गया है. जबकि, गढ़वा में सेवा मुक्ति का लेटर निकाल दिया गया है.
ऐसे में राज्य के विभिन्न जिलों में तैनात 2500 सहायक पुलिसकर्मी असमंजस में हैं. उनका कहना है कि सरकार अपनी मंशा स्पष्ट कर दे कि हमें रखना है या हटाना है. इस मामले में सहायक पुलिस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विवेकानंद गुप्ता ने बताया 18 अगस्त को सीएम ने चाईबासा में खुला मंच से दो साल की अवधि विस्तार की घोषणा की थी. कहा था कि अन्य मांगों पर विचार किया जा रहा है. लेकिन कोई फाइल आगे नहीं बढ़ी है. अपनी मांगों को लेकर प्रतिनिधिमंडल पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर से भी मिल चुका है. उस दौरान मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को स्पष्ट कहा था कि अवधि विस्तार के संबंध में किसी मंत्री या विभाग को पत्र जारी नहीं किया गया है, इसलिए वे कुछ नहीं कर सकते.
वर्ष 2017 में राज्य के विभिन्न जिलों में 2500 सहायक पुलिस कर्मियों की बहाली 10 हजार के वेतनमान पर हुई थी. नक्सल प्रभावित जिलों के युवा मुख्यधारा छोड़ कर नक्सली न बन जायें, इसलिए उन्हें नक्सलियों के विरोध में खड़ा किया गया था. मुख्य रूप से इनका काम नक्सलियों के गतिविधियों पर नजर रखना और उसकी सूचना जिला मुख्यालय तक पहुंचाना था. लेकिन, सहायक पुलिसकर्मियों को ट्रैफिक से लेकर विधि-व्यवस्था संभालने के कार्यों में भी लगाया जाने लगा. त्योहार में जिला मुख्यालय में उनकी प्रतिनियुक्ति की जाने लगी. वर्ष 2019 और 2021 में भी सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा समाप्त कर दी गयी. आंदोलन के बाद सेवा फिर बहाल कर दी गयी थी. बीते 10 अगस्त को फिर से इनकी दो साल की सेवा विस्तार अवधि समाप्त हो गयी है.