रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने अपने पत्र में बकाया 1 लाख 36 हज़ार करोड़ रुपये की मांग की है. झारखंड के सीएम ने अपने पत्र की प्रतियां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए लिखा कि हमारी मांग सिर्फ न्याय की है, विशेषाधिकार की नहीं. झारखंड के लोगों ने अपने राज्य के लिए लंबा संघर्ष किया है और अब हम चाहते हैं कि हमारे संसाधनों एवं अधिकारों का उचित उपयोग हो. उन्होंने कहा कि झारखंडियों का हक मांगो तो ये जेल डाल देते हैं, पर अपने हक के लिए हर कुर्बानी मंजूर है.
हेमंत सोरेन बोले- हम स्पेशल स्टेटस नहीं मांग रहे
हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने ट्वीट कहा कि हम भाजपा के सहयोगी राज्यों की तरह स्पेशल स्टेटस नहीं मांग रहे, न ही हम कुछ राज्यों की तरह केंद्रीय बजट का बड़ा हिस्सा मांग रहे हैं. हमें बस हमारा हक दे दीजिए, यही मांग है. हम अपने बकाये के 1 लाख 36 हजार करोड़ से झारखंड को विकास के नए पथ पर ले जाएंगे. ऐसा विकास जो हमारे पर्यावरण, आदिवासी/मूलवासी एवं हर एक झारखंडी समुदायों के हितों की रक्षा करें. हम शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करेंगे, ताकि हमारे बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो सके. हम अपनी भाषा और संस्कृति को और बेहतर संरक्षण करेंगे, ताकि हमारी पहचान बनी रहे. हम हमारे युवाओं को रोजगार के नए आयाम उपलब्ध करायेंगे और उसके आभाव में उन्हें उचित भत्ता देंगे.
हेमंत सोरेन ने कहा- जल्द फैसला लें केंद्र सरकार
हेमंत सोरेन ने अपने ट्वीट में आगे लिखा कि हमारे हक पर केंद्र सरकार जल्द फैसला ले. झारखंड के विकास में बाधा न बने, बल्कि सहयोगी बने. हम अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे, चाहे इसके लिए कितनी भी कठिनाइयों का सामना करना पड़े. उन्होंने कहा कि झारखंड की धरती पर जन्मे हर व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह अपने राज्य के हितों की रक्षा करें. हम एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएंगे, लड़ेंगे और अपना हक अपने पुरखों की तरह लेकर रहेंगे.
क्या लिखा है अपने पत्र में
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में पीएम मोदी को कहा ”जैसे कि आपको ज्ञात हो, झारखंड का रेवेन्य मुख्य रूप से यहां के खनिज संसधानों पर निर्भर है”. मैंने पहले आपको इस बारे पत्र के माध्यम से जानकारी दे दी थी कि इन संसाधनों का मुख्य बकाया साल 2022 तक 1 लाख 36 हजार करोड़ है. इसमें 29 सौ करोड़ रुपये का रॉयल्टी सिर्फ कोयला का है. उन्होंने इसके लिए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश का भी हवाला दिया है.