झारखंड में खेल और शिक्षा के क्षेत्र में युवा अपनी पहचान बना रहे हैं. हमारी कोशिश अगले सात साल में इस राज्य को देश का अग्रणी राज्य बनाने का है. आदिवासियों के उत्थान के लिए झारखंड में कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ये बातें नयी दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे 41वें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में कही. श्री सोरेन यहां गुरुवार को आयोजित झारखंड दिवस में मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करने पहुंचे थे. उनके साथ उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भी मौजूद थीं.
श्री सोरेन और उनकी पत्नी ने झारखंड पवेलियन का दौरा किया. यहां भगवान बिरसा मुंडा की मूर्ति पर माल्यार्पण किया और सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल हुए. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि देश में कई प्रगति मैदान की जरूरत है, ताकि देश-विदेश के लोगों को विभिन्न राज्यों की कला और संस्कृति को समझने का मौका मिल सके.
सभी युवाओं में क्षमता व हुनर होता है और इसी के आधार पर वे राज्य, देश व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाते हैं. झारखंड ऐसी प्रतिभाओं को मौका और मंच दोनों मुहैया करा रहा है. इस मौके पर श्री सोरेन ने कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि झारखंड वीरों की धरती रही है. अंग्रेजों से आदिवासियों ने संघर्ष किया. यह समाज कभी हार नहीं मानता है. आज वहां के आदिवासी, मूलवासी अपनी अलग पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हर क्षेत्र में प्रतियोगिता है. इसी राजनीतिक प्रतियोगिता के बीच उन्हें मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला है. मुख्यमंत्री बनने के साथ ही कई चुनौतियां आयी, लेकिन घबराया नहीं क्योंकि हम संघर्ष से डरनेवाले लोग नहीं हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें यह बात कहने से कोई गुरेज नहीं है कि झारखंड देश का सबसे पिछड़ा राज्य है. आदिवासी, पिछड़े समाज की स्थिति बदहाल है. यह समूह आज से नहीं सदियों से शोषित और पीड़ित रहा है, लेकिन गौर करनेवाली बात है कि वहां के लोग भले पिछड़े हैं, पर धरती काफी समृद्ध है. पूरे देश को रोशनी झारखंड के कोयले से मिलती है. लौह अयस्क से लेकर अन्य खनिज संपदा का बड़ा भंडार राज्य में है. लेकिन दुर्भाग्य से इसका लाभ वहां के स्थानीय लोगों को नहीं मिल पाया है. कार्यक्रम के दौरान मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, वंदना डाडेल मौजूद रहे.