रांची : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 28 जून को जमीन घोटाले में बेल मिलने को बाद जेल से बाहर निकले. हेमंत के जेल से बाहर आते ही झारखंड की राजनीति रफ्ता-रफ्ता नयी दिशा की ओर बढ़ने लगी. सत्ता परिवर्तन का प्लॉट तैयार होने लगा. 153 दिनों में चंपाई सरकार का चेप्टर क्लोज हो गया. हेमंत सोरेन को बेल मिलने से झामुमो का खेमा उत्साहित था. हेमंत भी तेवर में थे. 30 जून को हूल दिवस के दिन हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भोगनाडीह पहुंचे. मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन भी भोगनाडीह पहुंचे थे.
सोनिया गांधी और हेमंत सोरेन की बातचीत अहम कड़ी
इसके बाद हेमंत सोरेन ने कांग्रेस की आला नेता सोनिया गांधी से बातचीत की. यह बड़ी ही अहम बातचीत थी. सोनिया गांधी का भी कहना था कि हेमंत कमान संभालें. कांग्रेस नेतृत्व का मानना था कि सरकार के कार्यकाल खत्म होने में बहुत कम समय है. ऐसे में हेमंत सोरेन को सरकार में आना चाहिए. इसके बाद झामुमो ने भी कदम बढ़ाया. हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन से मिलने पहुंचे और गठबंधन की बात उनके सामने रखी. विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ी रणनीति के साथ आगे बढ़ने पर चर्चा हुई.
झामुमो की ये है योजना
झामुमो खेमा का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दो पावर सेंटर ना हों. अपने समर्थकों को बीच सरकार और संगठन का एक नेतृत्वकर्ता हो. इसी फॉर्मूले को लेकर झामुमो आगे बढ़ना चाहता है. आनेवाले विधानसभा में सरकार से लेकर संगठन की कमान खुद हेमंत अपने पास रखना चाहते थे.
सरकार का मुखिया बन चुनावी अभियान में निकलने की तैयारी
हेमंत सोरेन अब सरकार का मुखिया बन कर विधानसभा चुनाव के अभियान में निकलेंगे. वह चुनावी मोर्चे पर रहेंगे. इंडिया गठबंधन का नेतृत्व हेमंत सोरेन करें, यही कोशिश कांग्रेस की थी. कांग्रेस के नेताओं ने यह मैसेज जेल से निकलने के बाद हेमंत सोरेन को दिया.
झामुमो-कांग्रेस के कई विधायकों ने सीएम पद संभालने की सलाह दी
हेमंत सोरेन जैसे बाहर निकले, पूरी राजनीति उनके आवास पर केंद्रीत हो गयी. इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों के नेताओं का मिलना जुलना शुरू हुआ. चंपाई सोरेन के मुख्यमंत्री रहते हेमंत आवास सत्ता का केंद्र बन गया. झामुमो और कांग्रेस के कई विधायकों ने हेमंत सोरेन से आग्रह किया कि वह कुर्सी संभालें. विधायकों का कहना था कि उनके क्षेत्र का काम फंसा है. विधायकों ने हेमंत के लिए रास्ता बनाना शुरू कर दिया था.