Jharkhand Political Crisis: राजनीतिक ऊहापोह के बीच काम में जुटे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
Jharkhand Political Crisis: झारखंड की पूरी राजनीतिक मुख्यमंत्री आवास में सिमट गयी. सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के नेता और विधायक कांके रोड स्थित सीएमओ पहुंचे. 26 अगस्त को सुबह और शाम यूपीए के विधायकों की बैठक हुई.
Jharkhand Political Crisis: लगातार कई दिनों की ऊहापोह की स्थिति के बीच झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren Latest News) अपने काम में जुट गये हैं. मुख्मयंत्री हेमंत सोरेन आज प्रोजेक्ट भवन जा रहे हैं. वहां रूटीन काम निपटायेंगे. मुख्यमंत्री के अलावा अन्य मंत्री भी अपने-अपने दफ्तर पहुंच गये हैं. 25 अगस्त (गुरुवार) को उस वक्त राजनीतिक भूचाल आ गया था, जब निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने हेमंत सोरेन की सदस्यता पर अपनी सिफारिश भेजी थी.
मुख्यमंत्री आवास में गहमागहमी
गुरुवार को निर्वाचन आयोग की चिट्ठी राजभवन पहुंची थी. इसके बाद से ही मुख्यमंत्री की सदस्यता पर तरह-तरह के कयास लगाये जाने लगे थे. मुख्यमंत्री आवास में राजनीतिक गहमागहमी शुरू हो गयी. विधायकों की बैठकों का दौर शुरू हुआ. शुक्रवार को राजभवन की ओर से मुख्यमंत्री की सदस्यता रद्द किये जाने की जानकारी दी गयी.
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सीएमओ में सिमट गयी थी झारखंड की राजनीति
इसके बाद से झारखंड की पूरी राजनीतिक मुख्यमंत्री आवास में सिमट गयी. सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के नेता और विधायक कांके रोड स्थित सीएमओ पहुंचे. 26 अगस्त को सुबह और शाम यूपीए के विधायकों की बैठक हुई. इस दौरान यह भी चर्चा शुरू हो गयी कि झारखंड के विधायकों को पश्चिम बंगाल या छत्तीसगढ़ ले जाया जा सकता है. हालांकि, सत्ता पक्ष ने इससे साफ इंकार किया.
बैग-बैगेज के साथ CMO पहुंचे विधायक
सत्ता पक्ष के नेताओं ने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार के पास बहुमत का आंकड़ा है. सरकार मजे में चल रही है. वर्ष 2024 तक यह सरकार चलेगी. शनिवार को सुबह सीएमओ में पत्रकारों की एंट्री रोक दी गयी. विधायकों का जमावड़ा शुरू हुआ. विधायक अपने साथ बैग-बैगेज लेकर पहुंचने लगे. एक विधायक ने मीडियाकर्मियों को बताया कि उन्हें हर परिस्थिति के लिए तैयार रहने को कहा गया है.
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सुरक्षाकर्मियों के काफिले के साथ CMO से निकली तीन बसें
विधायक ने बताया कि उनसे कहा गया है कि मुख्यमंत्री आवास में भी कुछ दिन रहना पड़ सकता है. कहीं बाहर भी जाना पड़ सकता है. इसलिए सभी सामान लेकर पहुंचे हैं. दोपहर 2 बजे मुख्यमंत्री आवास से एक के बाद एक तीन वॉल्वो बसें निकलीं, जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत सत्ता पक्ष के सभी विधायक मौजूद थे. इनके साथ सुरक्षाकर्मियों का काफिला भी था.
विधायकों को छत्तीसढ़ ले जाने की चर्चा
एक बार फिर चर्चा शुरू हुई कि बसों में सवार विधायकों को छत्तीसगढ़ ले जाया जा सकता है. लेकिन, कुछ ही देर बाद स्पष्ट हो गया कि विधायकों को खूंटी जिला के कर्रा प्रखंड स्थित लतरातू डैम ले जाया गया है. डैम में विधायकों ने नौका विहार किया. पिकनिक मनायी और देर शाम राजधानी रांची लौट आये. रात में कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय ने पार्टी के विधायकों के साथ बैठक की और हेमंत सोरेन सरकार के प्रति एकजुटता का ऐलान किया.
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खनन पट्टा मामले में हेमंत की विधायकी जाने की खबर
उल्लेखनीय है कि खनन पट्टा मामले में भारतीय जनता पार्टी के सीनियर लीडर और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्यपाल से शिकायत की थी कि हेमंत सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए खनन पट्टा हासिल किया है. इसलिए उनकी सदस्यता रद्द की जानी चाहिए. राजभवन ने मामला निर्वाचन आयोग को भेजा. निर्वाचन आयोग ने अपनी सिफारिश राज्यपाल को भेज दी.
यूपीए ने कहा- फैसला सुनायें राज्यपाल
निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर राज्यपाल रमेश बैस ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 9ए के प्रावधानों के तहत हेमंत सोरेन को विधानसभा की सदस्यता के अयोग्य करार दे दिया. हालांकि, अभी तक राजभवन के ऐक्शन की पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गयी है. सत्तारूढ़ गठबंधन यूपीए लगातार दबाव बना रहा है कि राज्यपाल अपना फैसला सुनायें. फैसले में देरी से खरीद-फरोख्त को हवा मिल रही है.
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यूपीए ने कई सवाल भी उठाये हैं
यूपीए ने पूछा है कि जब जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 9ए के तहत किसी की सदस्यता रद्द नहीं हुई है, तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर ऐसा बर्ताव क्यों हो रहा है? यूपीए ने पूछा है कि क्या कारण है कि चुनाव आयोग के पत्र पर राज्यपाल ने अब तक अपना मंतव्य नहीं दिया. पूछा कि क्या समय काटकर राजभवन विधायकों की खरीद-फरोख्त को हवा देना चाहता है. महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में ऐसा देखा गया है. राज्यपाल की गरिमा उन राज्यों में गिरी है.
झारखंड में काम कर रहा है बाहरी गैंग
यूपीए ने कहा है कि झारखंड में एक बाहरी गैंग काम कर रहा है. यह बेहद दुखद है. नीचे से ऊपर तक बैठे इस गैंग के सभी लोगों में एक समानता है. सत्ता पक्ष की ओर से कहा जा रहा है कि भाजपा और उससे जुड़ी संस्थाएं झारखंड में आदिवासी मुख्यमंत्री को बर्दाश्त नहीं कर पा रही है. यूपीए ने कहा है कि राज्य को अराजक स्थिति की ओर धकेलने से बचा जाये.