रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि वे आदिवासी समुदाय से आते हैं, इसलिए उन पर बेनामी संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया जाता है. सीएम गुरुवार को प्रोजेक्ट भवन में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे. यह पूछे जाने पर कि केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग विपक्ष के खिलाफ किया जा रहा है क्या? इस पर सीएम ने कहा कि यह आकलन करने की बात है. जिस तरीके से केंद्रीय एजेंसियों का प्रयोग राजनीतिक हितों के लिए किया जा रहा है, वह देश-दुनिया के सामने दिख रहा है. संजय सिंह ही नहीं, कई लोग हैं, जो लाइन में भी हैं.
सीएम ने कहा कि हमारे बारे में जिक्र होता है. मैं आदिवासी समुदाय से आता हूं, इसलिए मुझ पर बेनामी संपत्ति का आरोप लगता है. आपको पता है कि आदिवासी की जमीन की किस तरीके से खरीद-बिक्री होती है. जिस संपत्ति की हमारी न खरीद होती है, न बिक्री होती है, न बैंक मदद करता है, तो ऐसी संपत्ति लेकर आदमी करेगा क्या? सीएम ने कहा कि आरोप लगानेवाले हमारे विपक्ष के लोग हैं, जो आजकल कई संस्थाओं के प्रवक्ता भी बने हुए हैं. वे अपनी बौद्धिक क्षमता का उपयोग कमजोर वर्गों को आगे बढ़ने से कैसे रोका जाये, इस पर लगातार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में पांच साल में एक बार जनता को अपनी ताकत दिखाने का वक्त आता है और ये वक्त बहुत जल्द आनेवाला है. समय किसी के लिए नहीं ठहरता है.
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जातिगत जनगणना के सवाल पर सीएम ने कहा कि हमलोगों ने 2021 में ही यह पहल की है. राज्यपाल को विधानसभा से पारित करके किसको कितना आरक्षण मिलना चाहिए, यह भी भेज रखा है. सीएम ने कहा कि सरकार का बिलकुल स्पष्ट मत है कि जो लोग जिस समूह में जितने हैं, उनको उतना अधिकार मिलना चाहिए.
दिल्ली की बैठक में अनुमति मिली, तो सरना धर्म कोड का मामला उठायेंगे :
सीएम ने संकेत दिया है कि छह अक्तूबर को गृह मंत्री के साथ होनेवाली बैठक में यदि अतिरिक्त समय मिला, तो सरना धर्म कोड व राजस्व के मुद्दे भी उठाये जायेंगे.
क्या क्षेत्रीय पार्टियों को खत्म करने का प्रयास केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से हो रहा है? इस सवाल पर सीएम हेमंत सोरेन ने कहा : किसी के द्वारा आगे बढ़ाने से हम यहां बढ़ कर नहीं आये हैं, तो किसी के दबाने या किसी के षड्यंत्र से हम खत्म होंगे क्या? उन्होंने कहा कि हर लोग विशेषकर आदिवासी, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक लोगों को लेकर बाबा भीमराव आंबेडकर ने भी इंगित किया था कि इन वर्गों को अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए. उनके आगे आने का मार्ग प्रशस्त होना चाहिए और अब वह समय बिलकुल सामने है, जहां ये समाज तेजी से आगे आयेगा.