संकट में झारखंड के धरोहर : मलबे में बदल रहा 113 साल पुराना टैगोर हिल का ब्रह्म मंदिर
दिनों-दिन टैगोर हिल की सुंदरता फीकी पड़ती जा रही है. 113 वर्षों से पर्यटन स्थल की पहचान बना ब्रह्म मंदिर अब ढहने लगा है. मलबे आस-पास ही बिखरे पड़े हैं. शीर्ष तक पहुंचने का रास्ता अब मलबे में तब्दील होने लगा है.
रांची, अभिषेक रॉय : रांची के मोरहाबादी स्थित टैगोर हिल आज अपनी पहचान का मोहताज बना हुआ है. एक ओर इसे ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित घोषित किये जाने का संघर्ष जारी है, तो दूसरी ओर अतिक्रमण हो रहा है. लेकिन देखरेख करनेवाला कोई नहीं. दिनों-दिन टैगोर हिल की सुंदरता फीकी पड़ती जा रही है. 113 वर्षों से पर्यटन स्थल की पहचान बना ब्रह्म मंदिर अब ढहने लगा है. मलबे आस-पास ही बिखरे पड़े हैं. शीर्ष तक पहुंचने का रास्ता अब मलबे में तब्दील होने लगा है. कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिंद्रनाथ टैगोर के अध्यात्म का केंद्र अब शाम ढलते ही नशे का ठिकाना बन रहा है. सामाजिक गतिविधियां ठप सी हो गयी हैं.
शांति धाम में अब अशांत माहौलज्योतिंद्रनाथ टैगोर ने 1909 के अंत तक शांति धाम का निर्माण कार्य पूरा कर लिया था. शांति धाम के बायीं ओर बैठने और लेखनी के लिए मंच भी तैयार कराया था. अब शांति धाम नशेड़ियों का अड्डा बन गया है. शाम ढलते ही आगंतुकों की जगह असामाजिक तत्व का जुटान होने लगता है. परिसर में फैली शराब की बोतलें गवाह हैं. इसके अलावा दिन में भी टैगोर हिल परिसर में कई युवा नशा का सेवन करते नजर आते हैं.
पर्यटन विभाग की ओर से टैगोर हिल परिसर में झारखंडी संस्कृति का पूरा नजारा दिखाने की बात कही गयी थी. इसके तहत कलाकृत्तियों की प्रदर्शनी के लिए शांति धाम में मंच और लाइब्रेरी का निर्माण भी किया जाना था. सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए टैगोर हिल के पीछे के हिस्से में डॉ रामदयाल मुंडा ओपन थियेटर का निर्माण भी किया गया, लेकिन इसमें किसी तरह की गतिविधि नहीं हो रही. संस्था एसपीटीएन की ओर से समय-समय पर टैगोर परिवार के सदस्यों की जयंती और पुण्यतिथि पर सांस्कृतिक कार्यक्रम व पेंटिंग प्रदर्शनी लगायी जाती है.
1908 में रांची आये थे ज्योतिंद्रनाथ टैगोर और यहीं के होकर रह गये1908 की शुरुआत में ज्योतिंद्र नाथ टैगोर बड़े भाई सत्येंद्रनाथ ठाकुर के साथ रांची पहुंचे थे. कोलकाता आर्काइव में मौजूद पत्रिका तत्वबोधिनी के अनुसार 1884 में ज्योंतिद्रनाथ टैगोर की पत्नी का निधन हो गया था. इसके बाद 1902 से 1908 के बीच परिवार के कई और सदस्य की अकाल मृत्यु हो गयी. इसके बाद ज्योतिंद्रनाथ टैगोर वैराग्य जीवन जीने लगे थे. रांची पहुंचने पर उन्हें यहां का परिवेश अनुकूल लगा और यहीं के हो गये. 23 अक्तूबर 1908 में माेरहाबादी के पहाड़ी गांव के जमींदार बाबू हरिहर सिंह से करीब 15 एकड़ 80 डिसमिल जमीन पहाड़ के साथ 290 रुपये सालाना लगान और कुछ शर्तों के साथ बंदोबस्त करायी. इसी वर्ष 19 दिसंबर से परिसर में पहले शांतिधाम का निर्माण कार्य शुरू किया. लगभग दो वर्ष तक निर्माण कार्य चला और ब्रह्म मंदिर की स्थापना की.
ढहने लगा है ब्रह्म मंदिरटैगोर हिल के शीर्ष पर बने ब्रह्म मंदिर में आगंतुक आज भी शुद्ध हवा लेने पहुंचते हैं. मॉर्निंग वॉकर्स मेडिटेशन करते हैं, तो दिन में लोग ऊंचाई से शहर का नजारा लेते हैं. हालांकि अब इस नजारे के बीच मलबा ढहने का खतरा बना हुआ है. ब्रह्म मंदिर के दायें और बायें ओर शीर्ष पर लगी आकृतिक टालियां अब टूट कर झड़ चुकी हैं. कुछ एक तो मंदिर के शीर्ष पर ही किसी तरह टिकी हुई है. बाकी पहाड़ में खो गयी हैं. बांस-बल्ली के सहारे किसी तरह इसे बांधकर टिकाया गया है.
राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की हो पहलप्राकृतिक सौंदर्य व आदिम संस्कृति संरक्षण संस्थान (एसपीटीएन) के संस्थापक सह अध्यक्ष अजय जैन ने बताया कि टैगोर हिल को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा मिले, इसके लिए 2001 में अपील की गयी थी. 2008 में एएसआइ ने केंद्रीय कार्यालय को पत्र भी लिखा. 2014 में राज्य सरकार की ओर से एनओसी भी मिला, लेकिन कुछ नहीं हुआ. 2017 में हाइकोर्ट में पीआइएल किया गया. जवाब देते हुए इसके निर्माण कार्य को 1925 का बताया और 100 वर्ष पूरे न होने की बात कहीं. जबकि, तथ्य पेश भी किये गये. इसके बाद से लगातार टैगोर हिल को पर्यटन विभाग की ओर से भी नजरअंदाज किया जा रहा है.
Also Read: Ram Navami 2023: रांची में आज निकलेगा रामनवमी महोत्सव का पहला मंगलवारी जुलूस, 101 महिलाओं की मंडली होंगी शामिल 2016 में हुआ था सौंदर्यीकरणवर्ष 2016 में पर्यटन विभाग की ओर से टैगोर हिल का साैंदर्यीकरण किया गया था. इसके तहत सीढ़ियों पर टाइल्स लगायी थी. साथ ही बैठने के अलग-अलग जगह चिह्नित कर बेंच लगाये गये थे. पीने के पानी और लाइटिंग की भी व्यवस्था की गयी. अब सभी खराब हो चुके हैं. टैगोर हिल पर पहुंचनेवाले आगंतुकों के लिए न तो पीने के पानी की व्यवस्था है, न ही बाथरूम. इससे परिसर के कई हिस्से में कचरा फैला हुआ है. सुरक्षागार्ड न होने से आये दिन छेड़छाड़ की भी घटनाएं होती है.
टैगोर हिल की सुननेवाला कोई नहींझारखंड सरकार के पर्यटन विभाग के पास 150 करोड़ रुपये का है बजट
पर्यटन विभाग के पास 150 करोड़ रुपये का बजट है. अजय जैन ने मांग की है कि सरकार इस बजट का उचित इस्तेमाल करते हुए टैगोर हिल के सौंदर्यीकरण का काम पूरा करें. परिसर में व्यावसायिक नहीं सांस्कृतिक विरासत के रूप में तैयार करने की पहल करे.
-अजय जैन, संस्थापक , एसपीटीएन
टैगोर हिल में कई बेहतरीन शूटिंग लोकेशन, विकसित करना होगाटैगोर हिल में शूटिंग के लिए कई अच्छे स्पॉट हैं. सौंदर्यीकरण हो जाये और नियमित सफाई रहे, तो राज्य के स्थानीय कलाकार अपने कैमरे से इसे बड़े मंच तक पहुंचा सकेंगे. एक म्यूजिक एलबम की शूटिंग के लिए पहुंचा था, पर यहां की स्थिति देख स्पॉट चुनना मुश्किल है.
-मनोज कुजूर, सिनेमेटोग्राफर
बजट का सही इस्तेमाल कर इस धरोहर का सौंदर्यीकरण किया जायेटैगोर हिल लंबे समय बाद पहुंचा, लेकिन इसे देख निराशा हुई. कला को बढ़ावा देने के लिए सरकार को ठाेस कदम उठाना चाहिए. बजट का सही इस्तेमाल कर सौंदर्यीकरण हो. स्थानीय कलाकार ओपन थिएटर, शांति धाम सभागार का इस्तेमाल कर सकेंगे.
-दीवाकर मुंडा, कलाकार