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EXCLUSIVE: करवट ले रही हेसातू गांव की जिंदगी, आजादी के 75 वर्ष बाद पहली बार रोशन हुआ बूढ़ा पहाड़

चार फरवरी को पहली बार बूढ़ा पहाड़ के हेसातू कैंप के समीप लगे नये ट्रांसफॉर्मर को चार्ज कर बल्ब जलाया गया. रातें रोशन होने से ग्रामीण उत्साहित हैं और बिजली कनेक्शन लेने की प्रक्रिया में जुट गये हैं. यह झारखंड पुलिस और झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) के प्रयास से संभव हो पाया है.

रांची, अमन तिवारी. तीन दशक तक नक्सलियों का गढ़ रहे बूढ़ा पहाड़ के घनघोर जंगलों में बसे गांवों के गरीब आदिवासियों तक सरकारी योजनाएं पहुंचना दुरूह काम था. लेकिन, झारखंड पुलिस और सुरक्षाबलों की सधी हुई रणनीति और लंबे संघर्ष से इस इलाके की तस्वीर बदलने लगी है. पुलिस ने पहले बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त कराया. अब यहां के लोगों तक सरकार की विकास योजनाएं पहुंचाने लगी हैं. हेसातू गांव इसकी मिसाल है. अंधेरी रातों को अपनी नियती मान चुके यहां के लोगों आजादी के 75 साल बाद पहली बार बिजली की रोशनी देखी है.

झारखंड पुलिस व जेबीवीएनएल के प्रयास से हुआ संभव

चार फरवरी को पहली बार बूढ़ा पहाड़ के हेसातू कैंप के समीप लगे नये ट्रांसफॉर्मर को चार्ज कर बल्ब जलाया गया. रातें रोशन होने से ग्रामीण उत्साहित हैं और बिजली कनेक्शन लेने की प्रक्रिया में जुट गये हैं. यह झारखंड पुलिस और झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) के प्रयास से संभव हो पाया है. पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यहां कुछ साल पहले ही बिजली के खंभे और अन्य उपकरण लगाये गये थे. लेकिन, अब तक बिजली की व्यवस्था बहाल नहीं हुई थी.

इस तरह से हुआ काम

बूढ़ा पहाड़ में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कार्यक्रम में बाद डीजीपी नीरज सिन्हा ने यहां बिजली व्यवस्था सुनिश्चित कराने का जिम्मा झारखंड जगुआर (एसटीएफ) के एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग को सौंपा था. डीजीपी का निर्देश मिलने के बाद एसटीएफ एसपी ने जेबीवीएनएल के निदेशक केके वर्मा से संपर्क किया और लगातार उनसे समन्वय बनाकर काम किया है.

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कैंप के लिए की जा रही व्यवस्था का लाभ ग्रामीणों को भी मिलेगा : डीजीपी

डीजीपी नीरज सिन्हा ने बताया कि बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षा कैंप में रहे जवानों की सुविधा के लिए कई काम किये जा रहे हैं. उन्हें जेनरेटर, सोलर लाइट और स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने पर काम हो रहा है. कोशिश की जा रही है कि जो भी सुविधाएं जवानों को उपलब्ध करायी जायें, उनका लाभ ग्रामीण भी मिले.

ग्रामीणों को बैठक करके समझाया गया

जब बूढ़ा पहाड़ के सरजमबुरू में सुरक्षा कैंप स्थापित किया रहा था, तब वहां के कुछ लोगों ने इसका विरोध किया था. तब ग्रामीणों के साथ बैठक कर उन्हें समझाया गया. उन्हें बताया गया कि कैंप स्थापित होने से उनका भी विकास होगा. ग्रामीणों के सराहनीय सहयोग से ही आज यहां के गांव रोशन हो रहे हैं.

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बूढ़ा पहाड़ पर अब तक 9 सुरक्षा कैंप स्थापित

झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ मिलकर अब तक बूढ़ा पहाड़ के विभिन्न इलाकों में कुल 9 सुरक्षा कैंप स्थापित कर चुके हैं. वर्ष 2020 में 2, वर्ष 2021 में 2 और वर्ष 2022 में सबसे अधिक 5 सुरक्षा कैंप स्थापित किये गये थे. इसके बाद ही वहां लगातार अभियान चलाकर बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त कराया गया था.

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