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झारखंड हाईकोर्ट नाराज, सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के वीसी को हाजिर होने का आदेश, ये है मामला

चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रतिवादी के जवाब को देखने के बाद कड़ी नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति को अगली सुनवाई के दौरान सशरीर उपस्थित रहने का निर्देश दिया.

Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट ने देवघर के एएस कॉलेज के शिक्षकों के बकाया वेतन भुगतान मामले में एकल पीठ के आदेश को चुनौती देनेवाली अपील याचिकाओं पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रतिवादी के जवाब को देखने के बाद कड़ी नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति को अगली सुनवाई के दौरान सशरीर उपस्थित रहने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 14 नवंबर की तिथि निर्धारित की.

शपथ पत्र दायर करने के लिए मांगा समय

इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर करने के लिए खंडपीठ से समय देने का आग्रह किया गया. सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय की ओर से प्रति शपथ पत्र दायर कर बताया गया कि मामले में अपील याचिका दायर करने के निर्णय से संबंधित संचिका नहीं मिल पा रही है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी राज्य सरकार व सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय की ओर से अलग-अलग अपील याचिका दायर की गयी है. पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार को शपथ पत्र दायर करने को कहा था कि जब आप एकल पीठ के आदेश से प्रभावित नहीं हैं, तो आपने अपील दायर क्यों की. विश्वविद्यालय को भी निर्देश दिया था कि शिक्षकों के बकाया वेतन से संबंधित संचिका को सीलबंद कोर्ट में प्रस्तुत करें तथा प्रति शपथ पत्र दायर कर बतायें कि किन परिस्थितियों में आपने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने का निर्णय लिया है.

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ये है मामला

देवघर के एएस कॉलेज में कई शिक्षक नियुक्त किये गये थे. वर्ष 2018 में एकल पीठ ने नियुक्त शिक्षकों के मामले में यह आदेश पारित किया था कि जिस अवधि में प्रार्थी शिक्षकों द्वारा शिक्षण कार्य किया गया है, उस अवधि का उन्हें न्यूनतम वेतनमान दिया जाये. इसके बाद विश्वविद्यालय की ओर से बकाया वेतन भुगतान के लिए एकल पीठ के आदेश के आलोक में राज्य सरकार से राशि की मांग की गयी. राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय से कहा कि अपील याचिका दायर करें अथवा अपने आंतरिक स्रोत से प्रार्थी शिक्षकों के बकाया वेतन का भुगतान करें. इसके बाद सरकार व विश्वविद्यालय द्वारा अलग-अलग अपील याचिका दायर की गयी.

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रिपोर्ट : राणा प्रताप, रांची

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