वरीय संवाददाता, रांची़ झारखंड हाइकोर्ट ने जमशेदपुर को इंडस्ट्रियल टाउन बनाये जाने से संबंधित सरकार की अधिसूचना को चुनाैती देनेवाली जनहित याचिका पर सुनवाई की. एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान प्रार्थी का पक्ष सुना. पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए माैखिक रूप से कहा कि प्रथमद्रष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि अधिसूचना असंवैधानिक है. मामले में राज्य सरकार को एक सप्ताह के अंदर जवाब दायर करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने कहा कि यदि सरकार का जवाब नहीं आता है, तो दिसंबर 2023 की अधिसूचना को रद्द किया जा सकता है. साथ ही खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 सितंबर की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव, अधिवक्ता रोहित सिंहा, अधिवक्ता अशोक झा व निर्मल घोष ने पैरवी की. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि जमशेदपुर को इंडस्ट्रियल टाउन बनाने के लिए राज्य सरकार ने 23 दिसंबर 2023 को अधिसूचना जारी की है. यह अधिसूचना संविधान के खिलाफ है. संविधान के तहत भारत में त्रिस्तरीय शासन विधि है. संसद, विधानसभा व स्थानीय निकाय. पंचायती राज के तहत स्वशासन भारत की सबसे प्रचीनतम व्यवस्थाओं में है. इसे कोई राज्य सरकार समाप्त नहीं कर सकती है, जबकि राज्य सरकार कह रही है कि जमशेदपुर में स्थानीय निकाय को समाप्त कर दिया गया है. राज्य सरकार व टाटा स्टील मिल कर जमशेदपुर में अच्छी नागरिक सुविधाएं प्रदान करेंगे. अधिवक्ताओं ने कहा कि पूरे जमशेदपुर शहर को, जो 15725 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें टाटा समूह की कई कंपनियां व उनकी काॅलोनियों के अलावा स्थानीय निकाय जमशेदपुर नोटिफाइड एरिया कमेटी (अक्षेष) का क्षेत्र तथा क्षेत्राधिकार भी शामिल है. इन सबको मिला कर जमशेदपुर इंडस्ट्रियल टाउन बनाया गया है, जो संविधान का उल्लंघन होने के साथ ही नागरिकों के संवैधानिक व मानवाधिकारों का भी सीधा उल्लंघन जैसा है. उन्होंने अधिसूचना को निरस्त करने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सौरभ विष्णु ने जनहित याचिका दायर कर सरकार की अधिसूचना को चुनाैती दी है. उन्होंने अधिसूचना को निरस्त करने की मांग की है.
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