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सीबीआइ के जवाब से हाइकोर्ट असंतुष्ट, केस की स्पीडी ट्रायल करायें

झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में एमपी-एमएलए के खिलाफ दर्ज केस के स्पीडी ट्रायल को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान सीबीआइ के जवाब पर असंतुष्टि जतायी.

झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में एमपी-एमएलए के खिलाफ दर्ज केस के स्पीडी ट्रायल को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान सीबीआइ के जवाब पर असंतुष्टि जतायी. खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए माैखिक रूप से कहा कि एसपी स्तर से नीचे के कनीय अधिकारी से हाइकोर्ट में शपथ पत्र दायर नहीं कराया जाये. शपथ पत्र दायर करनेवाले पुलिस अधिकारी का पद कम से कम एसपी स्तर का हो. खंडपीठ ने राज्य सरकार, सीबीआइ व इडी से पूछा कि निचली अदालतों में चल रहे ट्रायल में समय पर गवाही सुनिश्चित क्यों नहीं करायी जा रही है. समय पर गवाही नहीं होने से मामले का निष्पादन प्रभावित होता है. खंडपीठ ने ट्रायल के दाैरान गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया, ताकि समय पर उनकी गवाही हो तथा मामले का शीघ्र निष्पादन हो सके. खंडपीठ ने सीबीआइ व प्रवर्तन निदेशालय (इडी) को समुचित शपथ पत्र दायर कर विस्तृत जवाब दायर करने का निर्देश दिया. शपथ पत्र में यह बताया जाये कि एमपी- एमएलए के खिलाफ कितने केस लंबित हैं. उसकी अद्यतन स्थिति क्या है. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने आठ मई की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व मामले के एमीकस क्यूरी अधिवक्ता मनोज टंडन ने पैरवी की. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि सीबीआइ की ओर से इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी ने शपथ पत्र दायर किया है, जिसे उचित नहीं कहा जा सकता है. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में झारखंड हाइकोर्ट ने एमपी-एमएलए के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के त्वरित निष्पादन को लेकर स्वत: संज्ञान लिया था.

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