झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार को हाइकोर्ट का नोटिस, विधायक आवास आवंटन में ‘भेदभाव’ का लगा है आरोप
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पर विधायकों को आवास आवंटन के मामले में ‘भेदभाव’ करने का आरोप लगा है. मामला हाइकोर्ट में दो जजों की खंडपीठ के पास पहुंच गया है और कोर्ट ने झारखंड सरकार को नोटिस जारी किया है. पीठ ने भाजपा विधायक नवीन जायसवाल की याचिका पर सरकार से पूछा कि विभिन्न दलों के विधायकों को आवास आवंटन में ‘भेदभाव’ क्यों किया जा रहा है.
रांची : झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पर विधायकों को आवास आवंटन के मामले में ‘भेदभाव’ करने का आरोप लगा है. मामला हाइकोर्ट में दो जजों की खंडपीठ के पास पहुंच गया है और कोर्ट ने झारखंड सरकार को नोटिस जारी किया है. पीठ ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक नवीन जायसवाल की याचिका पर राज्य सरकार से पूछा कि विभिन्न दलों के विधायकों को आवास आवंटन में ‘भेदभाव’ क्यों किया जा रहा है.
साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि वास्तव में विधायकों को आवास आवंटन के नियम और आधार क्या हैं? चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन एवं जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने नवीन जायसवाल की याचिका पर एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए सरकार को नोटिस जारी किया.
खंडपीठ ने राज्य सरकार से जवाब मांगा कि विभिन्न दलों के विधायकों को आवास आवंटन में ‘भेदभाव क्यों है?’ हाइकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि कितने विधायकों को उच्च श्रेणी के एफ टाइप आवास आवंटित हुए हैं? इस तरह के आवास के आवंटन के पीछे का आधार क्या है? क्या श्री जायसवाल से कनीय विधायक को एफ टाइप आवास आवंटित किया गया है?
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अदालत ने सरकार को 11 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. उसी दिन इस मामले में आगे की सुनवाई होगी. सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने पीठ को बताया कि एकल पीठ ने अपने आदेश में स्वयं कहा है कि राज्य में मंत्री व विधायकों के आवास आवंटन के लिए कोई नियमावली नहीं बनी है.
उन्होंने कोर्ट को बताया कि नियमावली नहीं होने के चलते आवास आवंटन समिति ने ‘भेदभावपूर्ण’ तरीके से आवास आवंटित किये हैं. इसके लिए समिति ने विधायकों की वरीयता का भी ध्यान नहीं रखा है. भाजपा विधायक श्री जायसवाल ने उन्हें पूर्व सरकार में आवंटित एफ टाइप आवास को खाली करने के एकल पीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी है.
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Posted By : Mithilesh Jha