झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत ने कांग्रेस विधायकों के खिलाफ अरगोड़ा थाने में दर्ज शून्य प्राथमिकी को कोलकाता ट्रांसफर करने को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान अदालत ने प्रार्थी, झारखंड सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार, केंद्र सरकार व सूचक का पक्ष सुना. सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
अदालत ने सुनवाई के दौरान बंगाल सरकार से पूछा कि विधायकों के पास से नगद राशि बरामद हुई थी, वह मामला आयकर विभाग के पास क्यों नहीं भेजा गया? आइपीसी की किस धारा के तहत यह मामला दर्ज किया गया? इस पर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने बताया कि मामले में जांच जारी है. यह पता नहीं चल पाया है कि पकड़ा गया नगद किस मद का है. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि तीनों विधायकों के पास से, जो नगद राशि बरामद हुई थी, उस मामले में पुलिस ने कोलकाता में प्राथमिकी दर्ज की थी. इसलिए सूचक अनूप कुमार सिंह द्वारा अरगोड़ा थाने में दर्ज करायी गयी जीरो एफआइआर को वरीय अधिकारियों की सलाह पर कोलकाता ट्रांसफर कर दिया गया था.
राज्य सरकार व बंगाल सरकार की दलील का प्रार्थी के अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने विरोध किया. उन्होंने बताया कि रुपये बरामदगी का मामला कोलकाता पुलिस के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है. अधिक से अधिक यह आयकर का मामला हो सकता था. प्राथमिकी दर्ज नहीं होनी चाहिए थी. जीरो प्राथमिकी को ट्रांसफर करना भी गलत है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप ने क्रिमिनल रिट याचिका दायर की है. उन्होंने अरगोड़ा थाना में दर्ज शून्य प्राथमिकी को कोलकाता ट्रांसफर करने को चुनौती दी है.
कांग्रेस विधायक अनूप सिंह ने हेमंत सरकार गिराने की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाते हुए अरगोड़ा थाना में जीरो एफआइआर दर्ज करायी थी, जिसे कोलकाता ट्रांसफर किया गया था. पश्चिम बंगाल के हावड़ा में 30 जुलाई को लगभग 49 लाख के साथ पकड़े गये विधायक डॉ इरफान अंसारी, राजेश कच्छप व नमन विक्सल कोंगाड़ी के खिलाफ कैश कांड मामले में प्राथमिकी दर्ज की गयी है.
झारखंड हाइकोर्ट ने धनबाद के आशीर्वाद टावर और हाजरा क्लिनिक में आग से 19 लोगों की दर्दनाक मौत को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को भवनों के फायर ऑडिट का जिलावार ब्योरा प्रस्तुत करने के लिए समय दिया.
खंडपीठ ने मौखिक रूप से पूछा कि राज्य में नेशनल बिल्डिंग कोड व झारखंड बिल्डिंग बायलॉज के नियमों का सख्ती से अनुपालन हो रहा है या नहीं. इसके लिए राज्य सरकार ने क्या-क्या कदम उठाये हैं. खंडपीठ ने राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से नियमों के अनुपालन की जानकारी देने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 17 मार्च को होगी. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने खंडपीठ को बताया कि सभी जिलों से फायर ऑडिट का ब्याेरा मांगा गया है. कई जिलों से ब्याेरा मिल गया है. उन्होंने संपूर्ण रिपोर्ट दायर करने के लिए समय देने का आग्रह किया.