गर्भवती महिलाओं के इलाज के मामले में सरकार के जवाब से हाइकोर्ट संतुष्ट
झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गर्भवती महिला के अजन्मे बच्चे की माैत को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की.
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गर्भवती महिला के अजन्मे बच्चे की माैत को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार के जवाब पर संतोष प्रकट किया. पिछली सुनवाई के दाैरान कोर्ट ने मामले की जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था. इस पर राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनायी गयी थी.
समिति ने मामले की विस्तृत जांच की है. महिला को पहले हरमू के एक निजी हॉस्पिटल लेे जाया गया था, वहां पर जांच के बाद उन्हें रिम्स जाने की सलाह दी गयी, लेकिन परिजन महिला को लेकर डोरंडा अस्पताल चले गये. वहां पर डॉ चंचल गुप्ता ने जांच की थी. गर्भ में पल रहे बच्चे में कोई हलचल नहीं रिकॉर्ड किया. महिला की स्थिति गंभीर बतायी गयी. वहां से रिम्स केे बदले गुरुनानक हॉस्पिटल लेे जाया गया. रिम्स में इमरजेंसी इलाज की पूरी व्यवस्था है. महाधिवक्ता श्री रंजन ने बताया कि इस तरह की घटना की भविष्य में पुनरावृत्ति नहीं हो सके, इसकी तैयारी की गयी है.
राज्य में अगले दो माह में जिन गर्भवती महिलाओं की डिलिवरी होनी है, उन्हें चिह्नित किया जा रहा है. रांची में लगभग 2500 महिलाएं चिह्नित की गयी हैं. केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश के आलोक में सभी निजी व सरकारी अस्पतालों को अपने आउटडोर रोगी विभाग को पूर्ण रूप से चलाने का निर्देश दिया गया है. उल्लेखनीय है कि चीफ जस्टिस ने स्थानीय समाचार पत्रों में दो गर्भवती महिलाओं के साथ हुई घटना से संबंधित प्रकाशित खबर काे गंभीरता से लिया था. वहीं जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने भी मामले में संज्ञान लिया था.