जेनेटिक अस्पताल में महिला मरीज को बंधक बनाने पर हाइकोर्ट गंभीर, जांच का निर्देश

स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से मांगा जवाब

By Prabhat Khabar Print | June 29, 2024 12:47 AM

रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने बरियातू बूटी रोड स्थित जेनेटिक अस्पताल में बकाया बिल जमा नहीं करने पर नवजात की मां (महिला मरीज) को बंधक बनाये जाने को गंभीरता से लिया है. मामले में संज्ञान लेते हुए जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को जवाब देने का निर्देश दिया. साथ ही रांची के सिविल सर्जन को जेनेटिक अस्पताल की जांच करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी. सुनवाई के दाैरान स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव की ओर से कोर्ट को आश्वस्त किया गया कि मामले की जांच कर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. इससे पहले खंडपीठ को बताया गया कि जेनेटिक अस्पताल ने महिला मरीज के साथ अमानवीय व्यवहार किया है. क्या है मामला : रनिया के बनावीरा नवाटोली निवासी सुनीता कुमारी को 28 मई को प्रसव पीड़ा होने पर खूंटी सदर अस्पताल लाया गया था, जहां से उसे रिम्स रेफर कर दिया गया. रांची पहुंचने पर एक ऑटो चालक ने महिला के पति मंगलू को झांसा देकर जेनेटिक अस्पताल पहुंचा दिया. वहां पर महिला ने बच्चे को जन्म दिया. अस्पताल प्रबंधन द्वारा मंगलू से चार लाख रुपये मांगा गया. उसने जमीन बेच कर अस्पताल को दो लाख रुपये दिया. बचे हुए दो लाख रुपये देने में उसने असमर्थता जतायी. बिल का भुगतान नहीं होने पर अस्पताल प्रबंधन ने महिला सुनीता को बंधक बना लिया. सूचना मिलने पर सीआइडी की टीम ने 27 जून को सुनीता को अस्पताल से मुक्त कराया. महिला के पति मंगलू ने यह भी बताया कि जब अस्पताल प्रबंधन ने उसे नवजात के साथ घर भेजा था, तो उन्होंने बकरी का दूध पिला कर शिशु को जिंदा रखा.

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