झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार प्रदेश के युवाओं को रोजगार देने के लिए नियोजन नीति में बदलाव कर सकती है. सरकारी नौकरी के लिए झारखंड के किसी मान्यताप्राप्त बोर्ड से 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास करने की बाध्यता को खत्म किया जा सकता है. मुख्य सचिव व अन्य अधिकारियों की हाई-लेवल मीटिंग में स्थानीय नीति तय करने के मुद्दे पर मंथन हुआ.
स्थानीय लोगों को नौकरी में प्राथमिकता देने के लिए बनेगी नीति
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को स्थानीय लोगों को नौकरी में प्राथमिकता देने के लिए नीति बनाने को कहा है. इसमें पिछले दिनों हाईकोर्ट से निरस्त हुई नियोजन नीति का भी ख्याल रखने को कहा गया है. बुधवार को सीएस व अन्य अधिकारियों ने हाईकोर्ट के निर्णय के आलोक में क्या रास्ता हो सकता है, उस पर विचार किया. कमेटी ने हाईकोर्ट के आदेश को आलोक में सुप्रीम कोर्ट में जाने पर क्या-क्या रास्ता हो सकता है. उस पर भी विचार किया.
10वीं व 12वीं की परीक्षा की बाध्यता बन सकती है रोड़ा
बताया जा रहा है कि दोनों परिस्थितियों में 10वीं और 12वीं की परीक्षा झारखंड के मान्यता प्राप्त संस्थानों से पास करने की बाध्यता रोड़ा बन सकता है. इसके बाद क्या रास्ता हो सकता है, इस पर अधिकारियों ने मंथन किया. हालांकि, मुख्य सचिव ने जो हाई-लेवल मीटिंग की, उसमें इसकी कोई रूपरेखा तय नहीं हो सकी.
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हेमंत सोरेन ने दिया है बहाली प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश
उल्लेखनीय है कि झारखंड हाईकोर्ट ने हेमंत सोरेन सरकार द्वारा तैयार नियोजन नीति को रद्द कर दिया था. इसके बाद मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने विधानसभा में घोषणा की थी कि सरकार युवाओं को निराश नहीं होने देगी. उनकी इच्छा के अनुरूप कुछ न कुछ रास्ता निकाला जायेगा. नियोजन नीति नहीं होने से राज्य में बहाली प्रक्रिया रुक गयी है. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस मामले में जल्द कोई ठोस रास्ता निकालकर बहाली प्रक्रिया शुरू करें.
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