रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस हरीश शंकर मिश्र की अदालत ने अल्पसंख्यक कॉलेजों के शिक्षकों व कर्मचारियों को पेंशन देने के मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार द्वारा छह माह का और समय मांगे जाने पर कड़ी नाराजगी जतायी.
सुप्रीम कोर्ट से सरकार की एसएलपी खारिज होने के बावजूद अब तक आदेश का अनुपालन नहीं होने पर नाराजगी जताते हुए प्रत्येक प्रार्थी को 50-50 हजार रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया. मामले की अगली सुनवाई के पूर्व 75 प्रार्थियों को 37.50 लाख हर्जाना राशि भुगतान करने को कहा. अदालत ने सरकार को आदेश का अनुपालन कर शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. अदालत ने यह भी कहा कि यदि आदेश का अनुपालन नहीं किया गया, तो जो अधिकारी जिम्मेवार होगा, उसके खिलाफ पेनाल्टी का आदेश जारी किया जायेगा. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 27 नवंबर की तिथि निर्धारित की.
इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता ए अल्लाम, अधिवक्ता राजेश कुमार व अन्य ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार की एसएलपी सुप्रीम कोर्ट ने छह मार्च 2020 को खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाइकोर्ट के आदेश को सही ठहराया है.
हाइकोर्ट के जस्टिस प्रमथ पटनायक ने 12 अगस्त 2016 को रिट याचिका की सुनवाई करते हुए 19 दिसंबर 2012 के पूर्व सेवानिवृत्त होनेवाले शिक्षक व कर्मचारियों को पेंशन सुविधा देने का आदेश दिया था. लेकिन, अब तक पेंशन सुविधा प्रदान नहीं की गयी है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी बसंत कुमार बिलुंग व अन्य, डॉ मंजू शर्मा, भारती सिन्हा व अन्य की अोर से अलग-अलग अवमानना याचिका दायर कर आदेश का अनुपालन कराने की मांग की गयी है.
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अगली सुनवाई के पूर्व 75 प्रार्थियों को 50-50 हजार रुपये हर्जाना दें
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अदालत ने सरकार को आदेश का अनुपालन कर शपथ पत्र दायर करने का दिया निर्देश
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अल्पसंख्यक कॉलेजों के शिक्षकों व कर्मियों को पेंशन सुविधा देने के मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को