रांची : भाजपा के विधानसभा चुनाव सह प्रभारी व असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्वा सरमा ने प्रभात खबर संवाद में खुलकर अपनी बातें रखीं. उन्हों कहा कि हम पहले दिन से फायदे में हैं. झारखंड में एनडीए की सरकार बनेगी, उसमें कोई संदेह नहीं है. इस बार हम संताल परगना की 75 प्रतिशत सीटों पर जीत दर्ज करेंगे. संताल के साथ कोल्हान में भी इस बार भाजपा की बढ़त रहेगी. प्रस्तुत है श्री सरमा से बातचीत के प्रमुख अंश
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सवाल: इंडिया गठबंधन से मुकाबले में आज भाजपा कहां खड़ी दिख रही है ?
जवाब : हमारा विश्वास है कि हम पहले दिन से ही एडवांटेज में हैं. लोकसभा चुनाव का रिजल्ट और माहौल देखिये. इन दोनों को देखते हुए ही हम मान रहे हैं कि झारखंड में एनडीए-बीजेपी की ही सरकार बनेगी. इसमें कहीं कोई संदेह नहीं है.
सवाल : आपको जब झारखंड सह प्रभारी की जवाबदेही मिली थी, तब और आज की परिस्थिति कितनी बदली है?
जवाब : जब लोकसभा चुनाव का परिणाम आया, तो झारखंड की सरकार ने भी माहौल बनाया. हालांकि हमें नौ सीटें मिली थी, लेकिन झारखंड में माहौल बनाया कि आप लोग हारे. हमारे कॉन्फिडेंस को तोड़ने में लगे रहे. साइकॉलोजिकल वार किया. हालांकि हम उनसे ज्यादा नौ सीटें लेकर आये थे और उन्हें सिर्फ पांच सीटें मिली थीं. लेकिन, सरकार का तंत्र भी लग गया था हमारे लोगों का आत्मविश्वास तोड़ने में. हमने बताया कि नौ ज्यादा हैं, पांच नहीं. हम ज्यादा सीटें जीते हैं. हम उस माहौल को पलटने में कामयाब रहे. आज हमें विश्वास है कि अगली सरकार हमारी रहेगी. कांग्रेस भी 99 सीटें लेकर आयी थी. तब राहुल गांधी ने भी ऐसा कहा कि जैसे कि 100 सीटों में से 99 लाया. हालांकि कांग्रेस 500 में 99 सीटें लायी थी. हम हमेशा से स्ट्रॉन्ग हैं और आगे भी रहेंगे. कार्यकर्ताओं के बीच कॉन्फिडेंस देने में हम कामयाब रहे.
सवाल : आपकी पॉलिसी हायर एंड फायर वाली रही, दूसरे दलों से लाकर आप चुनाव लड़ रहे हैं. अपने कार्यकर्ताओं पर भरोसा नहीं है क्या?
जवाब : देखिये, हमारी पार्टी द्वारा प्रभाववाले क्षेत्रों में किसी भी बाहरी को टिकट नहीं दिया गया. हजारीबाग, धनबाद से लेकर जमशेदपुर में आप इसको देख सकते हैं. लेकिन लोकसभा परिणाम का अध्ययन करने के बाद हम लोगों को लगा कि किसी जगह पर हमारा अगर कोई रिक्वॉयरमेंट है, वैक्यूम है, तो उसे फुलफिल किया जाये. हर पार्टी ऐसा चाहेगी कि जहां हम मजबूत नहीं हैं, वहां हम लोगों को अवसर दें. लेकिन जहां हम पहले से मजबूत स्थिति में हैं, वहां हम बाहरी लोगों को नहीं लेंगे. आज अगर आप जामा सीट पर देखें, तो जामा उनके पास है, लेकिन इसके बावजूद उन लोगों ने बाहर से लोगों को हायर किया. लेकिन हमने कभी भी अपनी सीटों पर बाहरी लोगों को हायर नहीं किया. हम लोगों ने सोच-विचार करते हुए जहां पर वैक्यूम है, वहां पर एक रणनीतिक तौर पर चुनाव में मदद हासिल करने के लिए इस तरह के प्रयोग किये.
सवाल : टिकट बंटवारे के बाद आपकी पार्टी में भगदड़ मच गयी. पूर्व मंत्री लुइस मरांडी चलीं गयीं, विधायक केदार हाजरा, गणेश महली चले गये. इसका कितना असर पड़ेगा?
जवाब : कुछ लोग शुरू से जेएमएम के संपर्क में थे. उन पर हमारी नजर थी. कुछ लोग जेएमएम के ग्रुप में नहीं थे, उनको हम लोगों ने मना लिया. कुछ हमारे कंट्रोल में नहीं थे. उनको नहीं मना पाया. इस कारण टिकट बंटवारे के बाद कार्यालय में धरना-प्रदर्शन नहीं हुआ. हमने मेरिट पर टिकट दिया. इस बार काफी सावधानी से टिकट बांटा गया है. जिनके बारे में चर्चा थी, उनको कई स्थानों पर टिकट नहीं मिला.
सवाल : चर्चा है कि आप दूसरे दलों के कई नेताओं को भाजपा में शामिल कराना चाहते थे. केंद्रीय नेतृत्व तैयार नहीं हुआ?
जवाब : हां. मैं आज भी दूसरे दलों के सभी नेताओं को पार्टी में लाना चाहता हूं. इसमें किसी के तैयार नहीं होने जैसी कोई बात ही नहीं है. पार्टी किसी को टिकट देने से इंकार कर सकती है. लेकिन किसी को पार्टी में लेने से मना नहीं करती है. झारखंड कांग्रेस में छह-सात अच्छे नेता हैं. झामुमो में भी चार-पांच बढ़िया नेता हैं, जो वैचारिक रूप से हमसे मैच करते हैं. मैंने इस बार भी उनको भाजपा में लाने का प्रयास किया था. भविष्य में भी करूंगा. हो सकता है अगले चुनाव तक उनको भी ले आउंगा.
सवाल : हेमंत सोरेन ने मंइयां योजना में एक हजार रुपये की घोषणा की, तो आपने गोगो दीदी योजना में 21 सौ रुपये देने की घोषणा कर दी, फिर राज्य सरकार ने 25 सौ रुपये देने का फैसला कर लिया. आपकी गोगो दीदी योजना पीछे छूट गयी. ?
जवाब : इसमें दो बातें हैं. पहला मंईयां सम्मान योजना एक धोखा है. कोई भी योजना आपको स्टार्ट करनी है और आपकी नीयत अच्छी है, तो कम से कम दो साल पहले से शुरू करते. चुनाव के ठीक पहले आपने तीन महीना के लिए यह योजना चलायी. अगर आपको माताओं के लिए सम्मान देना था, तो आप पहले दिन से ही शुरू करते. जैसे नरेंद्र मोदी जी ने चुनाव में कहा था कि 70 साल से ऊपर के सभी लोगों को आयुष्मान योजना का लाभ मिलेगा. वह आज शुरू हो गया. मोदी जी का जो मैनिफेस्टो रहा, उसे मोदी जी ने पहले तीन महीने में ही पूरा कर दिया. असम में मैंने 2021 में शपथ ली थी. शपथ लेने के एक महीना बाद शुरू कर दिया. चार साल से चल रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार ने बोला था और उसे शपथ लेने के दो माह बाद ही शुरू कर दिया. यहां मंईयां का कॉन्सेप्ट ही गलत है. चुनाव के तीन महीना पहले देना है, तो चुनाव के बाद क्या होगा. इसकी कोई गारंटी नहीं है. मॉडल कोड कंडक्ट लागू होने के ठीक बाद कैबिनेट कर कहा कि 2500 देंगे. ये भी धोखा है. चुनाव में मैं मुद्दा उठाऊंगा कि भाई नवंबर माह में आपका कितना जमा होगा. एक हजार जमा होगा कि 2500 जमा होगा. जाते-जाते भी हेमंत सरकार धोखा दे रही है कि 2500 रुपये बढ़ाया, लेकिन वह किसी के खाते में आयेगा नहीं. दिसंबर में वह क्या देंगे. जब दिसंबर में आप सीएम रहेंगे ही नहीं, तो इसकी घोषणा पहले कैसे कर दी. मैं अगर घोषणा करूं कि 2027 से माताओं-बहनों के एकाउंट में 10 हजार रुपये मिलेंगे, तो लोग कहेंगे कि तुम्हारा तो बीच में चुनाव है तो 2027 का घोषणा कैसे कर रहे हैं. यहां तो देश में पहली बार कोई मुख्यमंत्री देखा कि जो कह रहा है कि मैं शासन में रहूं, तब यह लागू नहीं होगा, जब शासन में नहीं रहूंगा, तो उसके बाद लागू होगा. जिस दिन मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लगा, कैबिनेट की क्षमता उसी दिन समाप्त हो गयी. यहां तो उल्टी बात हो रही है कि जलता हुआ दीया रोशनी नहीं दे रहा और बुझते दीये से रोशनी देने की बात हो रही है. पहली बार देखा कि जाने वाला मुख्यमंत्री बोल रहा है कि मेरे जाने के बाद ये स्कीम लागू होगी. लेकिन बीजेपी जब गोगो दीदी योजना करेगी. मुख्यमंत्री जब शपथ लेंगे, तो यहां आकर गोगो दीदी की फाइल पर साइन होगा. शपथ लेंगे और पहली दो फाइल मैंने रेडी कर रखने के लिए बोल दिया है. एक फाइल सीजीएल का एग्जाम कैंसल करना और दूसरी फाइल गोगो दीदी योजना को लागू करना. ये दो फाइल कर ही मैं असम जाऊंगा.
सवाल : आपके विपक्षी कह रहे हैं कि आप राज्य में तनाववाला और समाज को बांटने वाले बयान दे रहे हैं. आपको चुनाव के दौरान झारखंड आने से रोकने की मांग हो रही है, क्या कहेंगे?
जवाब : मैं तो कोई तनाव नहीं देखा. लास्ट तीन महीना से झारखंड में हूं, कोई तनाव तो नहीं देखा. बयान तो आना चाहिए. घुसपैठियों के दिल में तनाव आना चाहिए. घुसपैठिये को हार्ट अटैक है, तो उसमें कोई आपत्ति नहीं है. जनता के मन में कोई तनाव नहीं है. घुसपैठियों को संताल परगना क्षेत्र से बाहर निकालना है. झारखंड की जनता दीपावली मना रही है. सभी के घरों में खुशियां लानी है.
सवाल : हेमंत-कल्पना का ज्वाइंट कैंपेन चुनाव में चल रहा है. दोनों की सभाओं में भीड़ उमड़ रही है. कितनी चुनौती देख रहे हैं.
जवाब : मेरी पत्नी कहती है, देखो कल्पना सोरेन चुनाव लड़ रही है. हमको लड़ने नहीं देते. कल्पना सोरेन के कारण मेरे घर में भी तनाव पैदा हो गया है. कम से कम मैं मैडम से रिक्वेस्ट करता हूं कि आप मेरे घर में तनाव मत लाइये. इसको मैं बीजेपी में अफोर्ड नहीं कर सकता हूं कि अपनी पत्नी को चुनाव लड़वाऊं. जेएमएम का अपना वोट बैंक है. उनके लोग आयेंगे. लेकिन मैंने रांची, हटिया, पलामू, हजारीबाग में इनकी सभा में भीड़ नहीं देखी. आप कहते हैं कि उनकी सभा में भीड़ उमड़ रही है, तो आप वीडियो दिखाइये. जब सरकारी तंत्र सेल्फ-हेल्प ग्रुप की महिलाओं को लेकर आता है, तब भीड़ होती है. अभी कहां है, भीड़ दिखाइये. हमारे असम में जब चुनाव आता है, तो मैं डीसी लोग को बोल देता हूं कि आप लोग भीड़ मत लाइये. क्योंकि हमको अंदाजा नहीं होगा कि हमारी कितनी लोकप्रियता है. ऑफिसर लोग सीएम को जाल में फंसा लेते हैं. चुनाव के पहले सरकारी तंत्र से लोग आते हैं. इससे मुख्यमंत्री व मंत्री लोग को भ्रम हो जाता है कि यह हमारी पब्लिक है. इसलिए हमेशा मेैं असम में चुनाव से छह माह पहले कोई सरकारी सभा नहीं करता हूं. मैं सरकारी कार्यक्रम अलग और पार्टी की सभा अलग करता हूं. यही एसओपी है हमारा. अब देखिये चुनाव से पहले हजारीबाग में हेमंत सोरेन की बड़ी सभा हुई थी. क्या वहां भीड़ है. चुनाव से पहले डीसी-एसपी माताओं को बुलाकर ले आते हैं. उन्हें कहा जाता है कि नहीं आइयेगा, तो मंईयां योजना कट जायेगी. इसलिए मॉडल कोड कंडक्ट से पहले का और उसके बाद का उनकी सभाओं की भीड़ का वीडियो देख लीजिये. आपको पता चल जायेगा कि कौन जीतेगा और कौन हारेगा.
सवाल : भाजपा परिवारवाद के खिलाफ बोलती है, आपने 17 ऐसे लोगों को टिकट दिया, जो मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक के परिवार से जुड़े हैं. नये कार्यकर्ता कहां जायेंगे?
जवाब : देखिये हमने एक परिवार के दो सदस्यों को टिकट नहीं दिया. अर्जुन मुंडा की जगह उनकी पत्नी मीरा मुंडा को टिकट दिया है. हमारी पार्टी में एक ही परिवार के तीन-चार सदस्य चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. जहां तक पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन व उनके बेटे बाबूलाल सोरेन की बात है, तो यह पार्टी का कमिटमेंट था, जिसे पूरा किया गया है. पूर्णिमा दास के टिकट को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ जोड़ना सही नहीं है. वह पत्रकार रही हैं. खुद चुनाव लड़ने के लिए सक्षम हैं. हमने कोई ऐसा काम नहीं किया, जिससे पार्टी की परंपरा टूटी है.
सवाल : भाजपा को गठबंधन में 68 सीटें मिली हैं. इसमें से 36 सीटों पर पार्टी ने नये चेहरे को उतारा है, जो पिछले चुनाव में आपकी पार्टी से नहीं लड़े थे, यह प्रयोग कितना सफल होगा?
जवाब : पार्टी ने टिकट वितरण में सामाजिक, क्षेत्रीय, जाति, धर्म सभी प्रकार के संतुलन बनाने का प्रयास किया है. साधारण से साधारण व्यक्ति को टिकट दिया है. एक भी व्यक्ति यह नहीं कह सकता है कि धन से टिकट मिला है. राज्य में विधानसभा की सीट की संख्या कम होने से थोड़ी परेशानी होती है. झारखंड के अलावा देश के अन्य राज्यों में बहुत कम ऐसा विधानसभा क्षेत्र होगा, जहां मतदाता की संख्या पांच लाख तक होगी. यहां विधानसभा सीट की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है. नये चेहरे को टिकट देने से एंटी इनकंबेंसी भी कम होती है.
सवाल : राज्य में कई ऐसी सीटें, खासकर संताल में हैं, जहां भाजपा आज तक नहीं जीत पायी. इन सीटों को लेकर क्या रणनीति है?
जवाब : लुईस मरांडी झामुमो में चली गयीं. इसकी जानकारी हमें पहले से थी. पार्टी का कमिटमेंट देखिये. लोकसभा चुनाव में दुमका के सिटिंग सांसद सुनील सोरेन का टिकट काट कर उनकी जगह सीता सोरेन को मैदान में उतारा गया. तभी तय हो गया था कि दुमका विधानसभा से सुनील सोरेन को टिकट दिया जायेगा. हालांकि संताल की पाकुड़ सीट को छोड़ कर ऐसी कोई सीट नहीं है, जिस पर हम जीत नहीं सकते हैं. इस बार हम संताल परगना की 75 प्रतिशत सीटों पर जीत दर्ज करेंगे. क्योंकि यहां निर्दलीय की संख्या कम है. यह चुनाव संताल की अस्मिता बचाने की लड़ाई है. भाजपा ने इस चुनाव में संताल परगना व कोल्हान में बढ़त हासिल की.
सवाल : आपको राज्य की 28 ट्राइबल सीटों पर इस बार कैसे प्रदर्शन की उम्मीद है?
जवाब: राज्य में ट्राइबल सीटों का समीकरण बदलते नजर आयेंगे. सरायकेला, खूंटी और जामा सहित अन्य ट्राइबल सीट पर जीत तय है. 28 सीटों में से 14 सीट मिलेंगे. इससे ज्यादा भी हो सकता है, लेकिन कम नहीं.
सवाल : जैसी घोषणा आप कर रहे हैं, ऐसा लग रहा है कि आपकी सरकार बन गयी.?
जवाब : मैंने हर घोषणा के साथ एक सक्सेस स्टोरी को जोड़ा है. मैंने कब और कहां इसकी घोषणा की है, उसकी सक्सेस स्टोरी मौजूद है. गोगो दीदी घोषणा कब की, एक लाख की नौकरियां कहां देंगे. हमने झारखंड में इसी तरह की घोषणाएं की हैं. उसे हमने अपनी सक्सेस स्टोरी इंप्लीमेंट करने से जोड़ा है. आप असम की योजनाओं को यहां ठीक उसी तरह से लागू नहीं कर सकते हैं. आपको झारखंड के फ्लेवर में उसे प्रस्तुत करना पड़ेगा. चुनाव जीतने को लेकर आत्मविश्वास तो मेरा पहले दिन से है. हेमंत सोरेन के अंदर आत्मविश्वास नहीं है, इसलिए वह दिसंबर से अपनी चुनावी घोषणा करते फिर रहे हैं. उन्होंने नवंबर से ये घोषणाएं क्यों नहीं की. सीएम की शपथ होने के बाद ही अपने वादे को पूरा करने के बाद पहली फ्लाइट से गुवाहाटी वापस लौटूंगा.