रांची (विशेष संवाददाता). केलानिया विश्वविद्यालय, श्रीलंका के हिंदी विभाग के प्राध्यापक प्रो लक्ष्मण सेनेविरत्ने ने कहा है कि हिंदी सिर्फ एक भाषा ही नहीं, बल्कि हमारे लिए सर्वस्व है. भारत और श्रीलंका के संबंधों को प्रगाढ़ और मजबूत बनाने का एक सबसे बेहतर टूल्स है. उन्होंने श्रीलंका में हिंदी शिक्षण पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 1990 के बाद भंते आनंद कौशल्यान द्वारा हिंदी शिक्षण की औपचारिक शुरुआत हुई है. वर्तमान में श्रीलंका के 16 विवि में से 10 विवि में हिंदी पढ़ाई जाती है और यह छात्रों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करती है. प्रो सेनेविरत्ने गुरुवार को केंद्रीय विवि, झारखंड (सीयूजे) में अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग और सुदूर पूर्व भाषा विभाग के तत्वावधान में भारत और श्रीलंका के सांस्कृतिक संबंधों में भाषा की भूमिका विषय पर आयोजित व्याख्यान में बोल रहे थे. प्रो सेनेविरत्ने कहा कि भारत और श्रीलंका के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत बनाना है. साथ ही भाषाई पक्ष पर विशेष ध्यान देना होगा, क्योंकि भाषा संस्कृति का ही एक रूप है. विवि के कुलपति प्रो क्षितिभूषण दास ने हिंदी भाषा के विश्व स्तरीय महत्त्व को रेखांकित करते हुए बताया कि संस्कृति, व्यवसाय और भाषा आपस में सह संबंध हैं. इसलिए हिंदी भाषा का महत्त्व दिनों-दिन बढ़ रहा है. इससे पूर्व डॉ श्रेया भट्टाचार्य ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि भाषा दो देशों के बीच संबंध स्थापित करने का एक माध्यम है. संयोजन डॉ उपेंद्र कुमार व संचालन अंशु प्रिया ने किया. डॉ आलोक गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इस अवसर पर हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो रत्नेश विश्वकसेन, डॉ रवि रंजन, डॉ जगदीश सौरभ, डॉ अर्पणा, डॉ सुशांत, डॉ संदीप विश्वास, डॉ सुभाष बैठा, डॉ संजय अग्रवाल आदि उपस्थित थे.
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