‘गोरों’ की लाल बिल्डिंग: 95 साल पुराना है रांची सदर अस्पताल का इतिहास, ऐसे होगा जीर्णोद्धार, बनेगा हेरिटेज

कुछ ही दिनों में सुर्ख लाल ईंटों से झांकता रांची सदर अस्पताल का मूल हेरिटेज स्वरूप दिखने लगा है. लाल बिल्डिंग को बनाने में चूना, सुरखी, गुड़, उड़द, मेथी, बेलपत्र और भूसी जैसी चीजें इस्तेमाल में लायी जा रही हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 2, 2023 3:43 PM

रांची, बिपिन सिंह : बिड़ला वीमेंस हॉस्पिटल यानी सदर अस्पताल की लाल बिल्डिंग, इसका इतिहास करीब 95 वर्ष पुराना है. कभी बिड़ला वीमेंस हॉस्पिटल के नाम से प्रसिद्ध इस लाल भवन को हेरिटेज के रूप में विकसित किया जा रहा है. लाल बिल्डिंग में चिकित्सा अनुभवों की कहानियों को संरक्षित और जीवित रखने का प्रयास किया जा रहा है. कुछ ही दिनों में सुर्ख लाल ईंटों से झांकता इसका मूल हेरिटेज स्वरूप दिखने लगा है. करीब छह दशकों में यह ढांचा परिसर का केंद्र बिंदु था. लाल भवन काफी समय से चिकित्सा, दवा भंडार कक्ष, आपातकालीन चिकित्सा उपचार का एक हिस्सा रहा है.

  • चूना, गुड़ का शीरा, मेथी और उड़द के पानी से हो रहा सदर अस्पताल की लाल बिल्डिंग का जीर्णोद्धार

  • मूल स्वरूप में लौट रहा बिड़ला वीमेंस हॉस्पिटल यानी सदर अस्पताल का लाल भवन

  • 1928 में गवर्नर जनरल लार्ड इरविन के रांची आगमन पर रखी गयी थी इसकी आधारशिला

  • ऐतिहासिक विरासत के साथ ही चिकित्सा अनुभवों की कहानियों को संरक्षित करेगी लाल इमारत

राजा बलदेव दास बिड़ला ने रखी थी आधारशिला

इस हॉस्पिटल का निर्माण तत्कालीन गवर्नर जनरल लाॅर्ड इरविन के रांची आगमन को लेकर राजा बलदेव दास बिड़ला ने कराया था. 1928 में इसकी आधारशिला रखी थी. निर्माण के पांचवें वर्ष यानी 09 अक्तूबर 1933 को समारोह आयोजित कर इस अस्पताल को यहां के आम लोगों को समर्पित कर दिया गया. मालूम हो कि 1928 में इरविन के कार्यकाल में ही सात सदस्यीय साइमन कमीशन का दल मुंबई पहुंचा था. महात्मा गांधी की दांडी यात्रा भी इरविन के कार्यकाल में ही हुई थी.

'गोरों' की लाल बिल्डिंग: 95 साल पुराना है रांची सदर अस्पताल का इतिहास, ऐसे होगा जीर्णोद्धार, बनेगा हेरिटेज 3

मूल हेरिटेज स्वरूप में लौटाने पर खर्च होंगे 2.85 करोड़

बिल्डिंग कंजर्वेशन एंड डेवलपमेंट कार्य काे मंजूरी जुलाई के आखिर में मिली. इस सामाजिक-सांस्कृतिक संपत्ति के निर्माण लिए छह महीने का समय निर्धारित किया गया है. इस परिकल्पना को मूर्त रूप देने के लिए इमारत को बाहर और अंदर दो अलग-अलग भागों में बांटा गया है. दो चरणों में होनेवाले इस जीर्णोद्धार पर 2.85 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होंगे.

इन विरासत वाली इमारतों का जीर्णोद्धार कर रही एजेंसी

लाल बिल्डिंग को बनाने में चूना, सुरखी, गुड़, उड़द, मेथी, बेलपत्र और भूसी जैसी चीजें इस्तेमाल में लायी जा रही हैं. भवन निर्माण से जुड़े इंजीनियरों के मुताबिक इस सबके मिश्रण से एक विशेष गारा तैयार किया जाता है, जो पौराणिक निर्माण शैली है. तीन चीजों का यह मिश्रण चुनाई के लिए तैयार गारा को मजबूत पकड़ करने की क्षमता देता है. नमी वाली जगहों पर इस मिश्रण को सेट होने में एक से दो माह का वक्त लग जाता है.

ऐतिहासिक विरासत कायम रखते हुए होगा जीर्णोद्धार

मूल ऐतिहासिक वास्तु और जीवित सांस्कृतिक धरोहर संपत्ति के मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए लाल बिल्डिंग को संवारा जा रहा है. लाल सुरखी, गारे और चूना से बनी इमारत, अहाते, मूल चिन्ह को पुनर्स्थापित और अपरिवर्तित रखने का फैसला लिया गया है.

'गोरों' की लाल बिल्डिंग: 95 साल पुराना है रांची सदर अस्पताल का इतिहास, ऐसे होगा जीर्णोद्धार, बनेगा हेरिटेज 4

लाल इमारत के पुनर्निर्माण कार्य में तेजी

सदर अस्पताल की लाल बिल्डिंग के पुनर्निर्माण कार्य में तेजी आयी है. बाहरी मुख्य संरचना पर काम शुरू हुआ है. दूसरे चरण में भीतरी दीवारों को खरोंच कर इसके ऊपर लेप चढ़ाया जायेगा. इसमें बाहर लोहे का और भीतर लकड़ी के बड़े आकार का गेट, खिड़कियां और बड़े रोशनदान हैं. अंदर बड़े ऊंचे हॉल, मुख्य इमारत के ऊपर मेहराब या अर्ध वृत्ताकार शीर्ष पर ब्रिटिश शैली में ऊपरी चहारदीवारी विस्तार के कारण इसका पुरातात्विक महत्व सामने से ही दिखायी देता है.

ग्रेनाइट पट्टिका को पुनर्स्थापित किया जायेगा

समर्पित एक काले ग्रेनाइट की आदम कद पट्टिका है. शिलालेख में इससे जुड़े हेरिटेज साक्ष्य हैं और यह कई मौकों का गवाह है. ऐतिहासिक चिकित्सा अनुभवों की कहानियों को संरक्षित करने और जीवित रखने के प्रयासों के तहत हॉस्पिटल से जुड़े नाम, प्रतीक और शील चिन्ह को बिना परिवर्तन को अधिसूचित करते हुए री-स्टोरेशन प्रक्रिया के तहत इसे फिर से वापस उसी जगह बेहतर डिस्प्ले के साथ स्थापित किया जाएगा.

काफी लंबा होता है पारंपरिक तरीके से निर्मित संरचनाओं का जीवन

जेएसबीसीसीएल और मेसर्स एसएस इंटरप्राइजेज से जुड़े एक इंजीनियर ने बताया कि पुरातन संग्रहों को आधुनिकता के साथ जोड़ने का एक छोटा सा प्रयास है. पारंपरिक तरीके से निर्मित संरचनाओं का जीवन काफी लंबा होता है. इसके विपरीत महज 35-40 वर्ष पहले आरसीसी का उपयोग कर तथाकथित आधुनिक तकनीक से बनी इमारतें पहले से ही जर्जर हो चुकी हैं. ऐसे में हेरिटेज इमारतों के लिए जितना संभव हो सके मूल सामग्रियों और निर्माण तकनीकों का उपयोग करके इसका मूल स्वरूप लौटाया जाना चाहिए. इसमें सीमेंट के तौर पर आवश्यक कच्चा माल में पारंपरिक सामग्रियों का उपयोग, वास्तव में बेहतर गुणवत्ता वाला चूना पत्थर है.

Also Read: पलामू को सीएम देंगे 99 करोड़ की 110 योजनाओं की सौगात, 91.46 करोड़ की 72 योजनाओं का करेंगे शिलान्यास

Next Article

Exit mobile version