Holika Dahan: झारखंड में इस दिन होगा होलिका दहन, जानें शुभ मुहूर्त
Holika Dahan 2023: होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि इससे जीवन की नकारात्मकता दूर होती है और जीवन में खुशहाली आती है.
Holika Dahan 2023: रंगों के त्योहार होली की तारीख नजदीक आती जा रही है. इस वर्ष होलिका दहन छह मार्च को है. पंडित कौशल कुमार मिश्र ने बताया कि वाराणसी पंचांग के अनुसार छह मार्च की रात्रि शेष 4.49 बजे (यानी सात मार्च को तड़के) तक भद्रा है. इसके बाद होलिका दहन किया जायेगा. कुछ वाराणसी पंचांग के अनुसार होलिका दहन का मुहूर्त छह मार्च की रात 12:23 से 1:35 बजे के बीच भी है, क्योंकि उस समय भद्रा पुच्छ रहेगा. इसमें होलिका दहन किया जाता है. छह मार्च सुबह नौ बजे डांडा रोपण किया जायेगा. छह मार्च की रात 11:53 से पूर्वा फागुनी नक्षत्र लग रहा है, जिसे शुभ माना जा रहा है. यह नक्षत्र रात 02:02 बजे तक रहेगा. होलिका दहन प्रात:काल के समीप होने के कारण सात मार्च को होली सिर्फ वाराणसी में मनायी जायेगी. बाकी जगहों पर होली आठ को मनायी जायेगी. होली के दिन उत्तरा फाल्गुनी योग मिल रहा है. यह रात 3:43 बजे तक रहेगा. इस दिन प्रतिपदा शाम 6:57 बजे तक है.
सात मार्च को स्नान दान की पूर्णिमा
सात मार्च को स्नान दान की पूर्णिमा है. इसी दिन दोल यात्रा निकाली जायेगी और चैतन्य महाप्रभु की जयंती मनायी जायेगी. वहीं तीन मार्च को आमल की एकादशी मनायी जायेगी. इसी दिन खाटू धाम में उनके दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ेगी. साथ ही वाराणसी में चार दिवसीय होली महोत्सव शुरू हो जायेगा. चार मार्च को शनि प्रदोष व बड़ी द्वादशी व गोविंद द्वादशी है. पांच मार्च को रवियोग मिल रहा है, जो शाम 6:53 बजे तक रहेगा. रविवार को रवि योग मिलने के कारण यह काफी शुभ माना जा रहा है. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है. इस बार होली व होलिका दहन के दिन भी लग्न है.
होलिका दहन का महत्व
होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि इससे जीवन की नकारात्मकता दूर होती है और जीवन में खुशहाली आती है. होलिका दहन को लेकर एक कथा भी प्रचलित है. कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था, जिसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था. इस कारण हिरण्यकश्यप अपने पुत्र को मरवाने का प्रयास करता रहता था, लेकिन उसके सभी प्रयास विफल हो जाते. एक बार उसने अपने बेटे को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को उसे गोद में लेकर आग में बैठने को कहा. होलिका को अग्नि से नहीं जलने का वरदान मिला था, लेकिन होलिका जैसे ही प्रह्लाद को लेकर आग में बैठी, वो जलकर भस्म हो गयी और प्रह्लाद बच गया. इस वजह से हर साल होलिका दहन किया जाता है.
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