रांची : सरकार ने निजी अस्पतालों में भर्ती कोरोना संक्रमितों के इलाज की नयी दर निर्धारित कर उसे लागू कर दिया है. नयी दर निर्धारित होते ही निजी अस्पतालों में अचानक बेड की समस्या दूर हो गयी है. ऐसे में बेड खाली रहने का हवाला देते हुए कई अस्पतालों ने बेड की संख्या भी कम कर दी है. अस्पतालों ने 20 से 25 फीसदी बेड कम कर दिया है.
अस्पतालों का कहना है कि संक्रमितों की संख्या कम होने की वजह से बेड कम करना पड़ रहा है. बेड को सामान्य बीमारी वाले मरीजों के लिए तैयार किया जा रहा है. वहीं कुछ दिन पहले जब तक सरकार ने कोरोना संक्रमितों के इलाज की नयी दर निर्धारित नहीं की थी, तब तक इन अस्पतालों में बेड मिलना मुश्किल था. मरीजों को बेड दिलाने के लिए पैरवी करनी पड़ती थी. जानकारों की मानें, तो निजी अस्पताल सरकार के फैसले का सीधा विरोध नहीं करना चाहते हैं.
इसलिए बेड कम कर अपना मतलब साध रहे हैं. एनएबीएच (नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल्स एंड हेल्थ केयर) श्रेणी के अस्पताल को 8,000 से 12,000 रुपये व नॉन एनएबीएच श्रेणी के अस्पताल को 7,500 से 11,500 रुपये के पैकेज में लाभ नहीं दिख रहा है. अस्पतालों को लग रहा है कि इस पैकेज में इलाज करने से ज्यादा कमाई नहीं हो सकती है.
क्योंकि, इसमें बेड चार्ज, डॉक्टर विजिटिंग चार्ज, नर्सिंग चार्ज, आवश्यक जांच, पीपीइ किट व खाना सबको शामिल कर दिया गया है. आवश्यक दवाओं का खर्च भी इसी पैकेज में है. वहीं सामान्य मरीज काे भर्ती करने से सिर्फ बेड चार्ज के रूप में ही 8,000 रुपये मिल जायेंगे. इसके अलावा डॉक्टर का विजिटिंग चार्ज, नर्सिंग चार्ज, जांच का खर्च, दवा का खर्च व खाना का अलग चार्ज किया जा सकता है.
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि सरकार ने शुरू में कोरोना संक्रमितों के लिए 10 बेड ही आरक्षित करने को कहा था, लेकिन कोरोना संक्रमितों की परेशानी को देखते हुए बेड की संख्या बढ़ायी गयी थी.
हम लोगों ने प्राइस कैपिंग के कारण बेड नहीं कम किये हैं. सरकार की गाइडलाइन का पालन तो कर ही रहे हैं. वहीं जानकारों का कहना है कि पहले तो बेड बढ़ा कर पैसा कमा लिया. अब जब इलाज की दर कम कर दी गयी है, तो अस्पताल सरकार की गाइडलाइन का हवाला दे रहे हैं.
राज अस्पताल : राज अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए 10 से 15 बेड कम कर दिया गया है. आनेवाले समय में बेड की संख्या और कम की जा सकती है.
मेडिका अस्पताल : मेडिका अस्पताल में बेड तो कम नहीं किया गया है, लेकिन 20 से 22 बेड खाली हो गये हैं. खाली बेड को आनेवाले समय में सामान्य मरीजों के लिए तैयार कर दिया जायेगा.
गुरुनानक अस्पताल : यहां आइसीयू सहित सामान्य वार्ड के 14 बेड कम कर दिये गये हैं. फ्यूमिगेशन कराकर बेड को सामान्य मरीजों केे लिए तैयार कर दिया गया है.
एस्क्लेपियस अस्पताल : यहां कोरोना संक्रमितों के लिए 50 बेड तैयार किया गया था, जिसमेें कुछ बेड वेंटिलेटर के भी थे. वर्तमान में यहां सिर्फ सात संक्रमित ही भर्ती हैं. बाकी बेड खाली है.
सैम्फोर्ड अस्पताल : अस्पताल में कोरोना संक्रमितों के लिए 55 बेड तैयार किया गया था, जिसमेें 28 आइसीयू व अन्य सामान्य वार्ड के बेड शामिल हैं. कम मरीज हो जाने पर यहां 10 बेड कम करने पर निर्णय लिया गया था, लेकिन संक्रमितों के आने से उसे कम नहीं किया गया है.
पल्स अस्पताल : पल्स अस्पताल में कोरोना संक्रमितों के लिए 40 बेड तैयार किया गया है, जिसमें संक्रमितों का इलाज किया जा रहा है. वर्तमान में बेड कम नहीं किया जायेगा.
मेदांता अस्पताल : अस्पताल में शेयरिंग रूम में एक बेड कम कर दिया गया है. ऐसा संक्रमितों की संख्या कम होने पर किया गया है.
होम आइसोलेशन : अस्पतालों का कहना है कि होम आइसोलेशन की सुविधा सरकार द्वारा लागू कर देने से एसिम्टोमेटिक या जिनको परेशानी नहीं है, वैसे लोग अस्पताल में भर्ती नहीं हो रहे हैं. इस कारण भी बेड की संख्या कम की गयी है.
रैपिड एंटीजेन जांच कर छुट्टी : अस्पतालों में अब रैपिड एंटीजेन टेस्ट करवा कर संक्रमितों को छुट्टी दे दी जा रही है. इससे संक्रमित एक सप्ताह के अंदर अस्पताल से छुट्टी लेकर घर चले जा रहे हैं.
posted by : sameer oraon