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झारखंड के कई जिलों में करोड़ों खर्च कर बनाये अस्पताल, पर चिकित्सा व्यवस्था है बदहाल

झारखंड में लाखों रुपये कमानेवाले सीसीएल की चिकित्सा व्यवस्था दुरुस्त नहीं है. अगर गंभीर बीमारी है, तो कंपनी के अस्पतालों में सुविधाओं की कमी के कारण उसका इलाज संभव नहीं हो पाता है.

झारखंड के कई जिलों में सीसीएल के अस्पताल और डिस्पेंसरी हैं. यहां कंपनी के कर्मचारियों के साथ-साथ परियोजना से प्रभावित अन्य लोगों का इलाज भी होता है. भर्ती की सुविधा केवल कंपनी या सूचीबद्ध संस्थाओं के मरीजों को ही दी जाती है. लाखों रुपये कमानेवाले सीसीएल की चिकित्सा व्यवस्था दुरुस्त नहीं है. अगर गंभीर बीमारी है, तो कंपनी के अस्पतालों में सुविधाओं की कमी के कारण उसका इलाज संभव नहीं हो पाता है. चूंकि सीसीएल में काम करनेवाले कर्मियों को राज्य तथा देश के कई अस्पतालों में इलाज की सुविधा मिलती है. इस कारण कर्मी यहां बीमारी का इलाज कराने के बदले रेफर कराना ही बेहतर समझते हैं. चिकित्सक भी यही चाहते हैं.

सीसीएल की कई परियोजनाओं में विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं

सीसीएल की कई डिस्पेंसरी और अस्पतालों में आज के दौर में भी चिकित्सक नहीं हैं. यह स्थिति तब है, जब रोज करीब 1600 मरीज कंपनी के ओपीडी में इलाज कराने के लिए आते हैं. सीसीएल के गांधीनगर अस्पताल और नयीसराय स्थित सेंट्रल हॉस्पिटल में तो व्यवस्था कुछ ठीक-ठाक है. लेकिन उम्मीदों पर अब भी खरा नहीं उतर रहा. कई स्थानों पर स्थिति बदहाल है. सीसीएल के सेंट्रल अस्पताल, गांधीनगर में दो दर्जन के करीब चिकित्सक हैं. कई विशेषज्ञ चिकित्सक भी हैं. दूसरी ओर देखा जाये, तो कई परियोजनाओं में विशेषज्ञ चिकित्सकों की स्थिति ठीक नहीं है. दवाओं की कमी भी समय-समय पर हो जाती है. कंपनी ने हाल के वर्षों में कई नयी खदानें खोली हैं, लेकिन वहां काम कर रहे लोगों को चिकित्सा सुविधा नहीं मिल रही है.

लातेहार: तेतरियाखार और मगध में नहीं बना अस्पताल

लातेहार जिले के बालूमाथ प्रखंड में सीसीएल की तेतरियाखार और मगध कोलियरी संचालित हैं. लेकिन दोनों कोलियरी में स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए अब तक कोई अस्पताल नही बना है. बालूमाथ प्रखंड में तेतरियाखांड़ कोलियरी खुले लगभग 30 वर्ष हो गये हैं. वही मगध कोलियरी के खुले पांच वर्ष हुए हैं. लेकिन इन पांच वर्षों में मगध कोलियरी से भी लोगों को स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए कोई पहल नहीं की गयी है. दोनों कोलियरी से प्रति वर्ष लाखों टन कोयला निकाल कर अन्य प्रदेशों में भेजा जा रहा है.

मगध व आम्रपाली कोल परियोजना में हैं ‍डिस्पेंसरी

मगध और आम्रपाली कोल परियोजना में सीसीएल की डिस्पेंसरी संचालित हैं. यहां मुख्य रूप से सीसीएल पदाधिकारियों का प्रारंभिक इलाज होता है. यहां ग्रामीण भी इलाज कराते हैं. डिस्पेंसरी में आकस्मिक दुर्घटना में प्राथमिक उपचार होता है और सामान्य बीमारियों को देखा जाता है. आम्रपाली कोल परियोजना में होन्हे गांव में व मगध में लातेहार के चमातू में डिस्पेंसरी संचालित हैं. जहां एक-एक डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ कार्यरत हैं. मगध, संघमित्रा, आम्रपाली व चंद्रगुप्त, चारों परियोजनाओं के लिए टाउनशिप में अस्पताल बनाया जा रहा है.

गिद्दी सी डिस्पेंसरी में फार्मासिस्ट के भरोसे व्यवस्था

कोयला क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों से संकट के दौर से गुजर रहा है. इसका प्रतिकूल असर चिकित्सा व्यवस्था पर भी पड़ रहा है. यहां एक क्षेत्रीय अस्पताल व तीन डिस्पेंसरी है. मजदूरों को पिछले कुछ वर्षों से अपेक्षित चिकित्सा सुविधा नहीं मिल रही है. मजदूरों को इलाज कराने के लिए बाहर जाना पड़ता है. दरअसल, अस्पताल व डिस्पेंसरी में चिकित्सक, चिकित्साकर्मी व नर्स की कमी है. इसकी जानकारी क्षेत्रीय व सीसीएल प्रबंधन को है, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है. कोयला क्षेत्र में बीएनआर, बर्ड कंपनी व नेशनल कोल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने 40 व 50 के दशक में रैलीगढ़ा, सिरका, अरगड्डा, गिद्दी व गिद्दी सी में डिस्पेंसरी खोली थी. बाद में सीसीएल प्रबंधन ने उन डिस्पेंसरी को बेहतर बनाया. गिद्दी में डिस्पेंसरी को अपग्रेड किया गया था. क्षेत्रीय अस्पताल की डिस्पेंसरी को कुछ वर्ष पहले ही बंद कर दी गयी है. गिद्दी डिस्पेंसरी बहुत पहले ही बंद हो चुकी है.

सयाल के अस्पताल में डॉक्टर नहीं, कर्मी करते हैं मरहम पट्टी

सीसीएल बरका-सयाल क्षेत्र का सयाल स्थित आदर्श क्षेत्रीय अस्पताल डॉक्टर विहीन हो गया है. यहां एक भी डॉक्टर की पदस्थापना नहीं होने से लोगों को इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही है. अस्पताल में वर्तमान में 30 कर्मचारी कार्यरत हैं. इन्हीं कर्मचारियों के भरोसे अस्पताल पहुंचनेवाले लोगों की मरहम पट्टी हो रही है. यह अस्पताल 20 बेड का है. सारे बेड टूट चुके हैं. अस्पताल के एक्स-रे रूम में करीब 10 साल से ताला लटका है. पैथोलॉजी लैब तीन साल से बंद है. 1960 के आसपास अस्पताल शुरू हुआ था. छह-सात साल से यहां डॉक्टर की पदस्थापना नहीं हो रहा है. बरका-सयाल क्षेत्र में भुरकुंडा अस्पताल के बाद सयाल का यह अस्पताल सबसे बड़ा अस्पताल है. अस्पताल पर सीसीएल के बिरसा, न्यू बिरसा, उरीमारी व सयाल कोलियरी के करीब तीन हजार कर्मचारी समेत क्षेत्र के करीब 12 हजार लोग आश्रित हैं. लेकिन इलाज की सुविधा नहीं मिलने से लोगों को करीब 10 किमी दूर भुरकुंडा या अन्य अस्पतालों का रुख करना पड़ता है.

चरही के अस्पताल में नहीं मिलता है बेहतर इलाज, कर दिया जाता है रेफर

हजारीबाग एरिया के चरही और प्रेमनगर कॉलोनी में सीसीएल का अस्पताल है. यह सीसीएल में कार्यरत सभी कर्मियों को बेहतर इलाज की सुविधा देने के लिए बनी है. इस अस्पताल में सुविधा के अभाव में कर्मियों का इलाज बेहतर तरीके से नहीं हो पाता है. मरीज के अस्पताल पहुंचते ही चिकित्सक रेफर कर अपनी जवाबदेही पूरी कर लेते हैं. सर्दी-खांसी में भी रोगियों को रामगढ़ रेफर कर दिया जाता है. प्रेमनगर और चरही अस्पताल में एक एंबुलेंस की व्यवस्था है. दुर्घटना हो जाने पर एंबुलेंस मंगाने में काफी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. इस कारण मरीज को सही समय पर अस्पताल पहुंचाने में भी परेशानी होती है. संवेदक एंबुलेंस को अस्पताल के अलावा निजी कार्यों में उपयोग कर रहे हैं. कंपनी के दोनों अस्पताल में छह चिकित्सक कार्यरत हैं.

बंद राजहरा कोलियरी में संचालित अस्पताल में पसरा रहता है सन्नाटा

पलामू की राजहरा कोलियरी में पिछले 14 वर्षों से उत्पादन बंद है. इसका असर राजहरा कोलियरी द्वारा संचालित अस्पताल पर भी है. कोलियरी बंद होने के बाद कुछ समय तक अस्पताल की व्यवस्था रही. लेकिन बाद में व्यवस्था चरमरा गयी. स्थिति यह है कि अस्पताल में वीरानी छायी रहती है. अस्पताल के आसपास सफाई की भी कोई व्यवस्था नहीं है. जब कोलियरी संचालित थी, उस समय यह पूरी तरह चिकित्सा व्यवस्था व्यवस्थित थी. चिकित्सक के साथ-साथ लैब टेक्नीशियन व स्वास्थ्य कर्मी पदस्थापित थे. इसीजी सहित अन्य तरह की जांच की भी सुविधा मिलती थी.

मरीजों को नि:शुल्क इलाज कराने के साथ-साथ जांच व दवा भी दी जाती थी. इस अस्पताल में राजहरा कोलियरी में काम करनेवाले पदाधिकारी-कर्मचारी के अलावा आसपास के लोग भी इलाज कराते थे. 2008 में कोलियरी से उत्पादन बंद होने के बाद अस्पताल की स्थिति बदहाल हो गयी. कई कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गये हैं. कुछ कर्मियों का तबादला दूसरी जगहों पर हो गया है. देखरेख के लिए जो कर्मी वहां पदस्थापित हैं, वे भी उस कॉलोनी में नहीं रहते हैं. अब इस अस्पताल में एक चिकित्सक के अलावा दो कर्मचारी पदस्थापित हैं.

आवश्यक दवा की खरीद बाहर से करनी पड़ती है कई मरीजों को

सीसीएल के रामगढ़ जिले में केंद्रीय चिकित्सालय संचालित हैं. जिसमें रामगढ़ से सटे कई एरिया के मजदूरों और उनके परिजनों का इलाज किया जाता है. केंद्रीय चिकित्सालय रामगढ़ के अंतर्गत सीएसआर बरकाकाना, अरगड्डा, नयीसराय, माइंस रेस्क्यू स्टेशन नयीसराय, हजारीबाग, कुजू व रजरप्पा परियोजना के कर्मियों का इलाज होता है. केंद्रीय चिकित्सालय रामगढ़ कोयला कामगारों के इलाज के लिए बेहतर अस्पताल माना जाता रहा है.

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