झारखंड के नगर निकायों में भवन का नक्शा पास कराने के लिए लगता है चढ़ावा, जानिए इसका पूरा गणित
पिछले पांच वर्षों में केवल राजधानी रांची में 3783 नक्शे पास हुए हैं. इसमें 103 कॉमर्शियल नक्शे पास हुए़. इन कॉमर्शियल नक्शों को औसतन 50 हजार वर्गफीट का ही माना जाये, तो 30 रुपये चढ़ावे की तय दर से 15 करोड़ की वसूली हुई है.
झारखंड के नगर निकायों में नक्शे का खेल चल रहा है. नक्शा स्वीकृति के लिए तय अधिकतम शुल्क आठ रुपये प्रति वर्गफीट है. पर निकायों में तय शुल्क के अलावा 30 रुपये प्रति वर्गफीट तक चढ़ावा देकर नक्शों की स्वीकृति प्राप्त की जा रही है. नगर निकायों में नक्शा स्वीकृति के हर चरण पर चढ़ावे की रकम फिक्स कर दी गयी है. चढ़ावे की तय राशि पांच हजार रुपये (रेसिडेंशियल) से शुरू होकर 30 रुपये प्रति वर्गफीट (कॉमर्शियल) तक है.
पिछले पांच वर्षों में केवल राजधानी रांची में 3783 नक्शे पास हुए हैं. इसमें 103 कॉमर्शियल नक्शे पास हुए़. इन कॉमर्शियल नक्शों को औसतन 50 हजार वर्गफीट का ही माना जाये, तो 30 रुपये चढ़ावे की तय दर से 15 करोड़ की वसूली हुई है. इसके साथ ही राजधानी में 3634 नक्शे छोटे-बड़े भवनों के हैं. इसमें राजधानी के निगम क्षेत्रों में बननेवाले अपार्टमेंट भी हैं. अपार्टमेंट में 20 रुपये प्रति वर्गफीट के हिसाब से अवैध कमाई करोड़ों में जायेगी़ छोटे भवन में मोल-भाव करा कर लोग नक्शा पास कराते हैं.
तो नहीं बढ़ती है फाइल :
नगर निकायों में छोटे भवनों का नक्शा उसके आकार के हिसाब से 20 से 50 हजार रुपये चढ़ावा लेकर स्वीकृत किया जाता है. वहीं, अपार्टमेंट और कॉमर्शियल भवनों में चढ़ावे की रकम वर्गफीट पर तय होती है. कॉमर्शियल भवनों के लिए 25 से 30 रुपये और रेसिडेंशियल अपार्टमेंट के लिए 20 से 25 रुपये प्रति वर्गफीट की अवैध वसूली होती है. निकायों में नक्शा स्वीकृत करने के लिए ऑनलाइन आवेदन के साथ प्रक्रिया शुरू हो जाती है, लेकिन प्रक्रिया के हर स्तर पर आवेदक या बिल्डर की निजी उपस्थिति के बिना फाइल आगे नहीं बढ़ती है.
हर चरण पर चढ़ावा :
सबसे पहले कागजात की वैधता जांचने के लिए नक्शा लॉ एडवाइजर के पास पहुंचता है. नक्शे के आकार और प्रकार के हिसाब से दो से 15 हजार रुपये तक का चढ़ावा चढ़ाने के बाद वहां से फाइल कनीय अभियंता के पास पहुंचती है.
फिर साइट वेरिफिकेशन के नाम जेइ पांच हजार रुपये (रेसिडेंशियल) से दो रुपये वर्गफीट (कॉमर्शियल) वसूलता है. इसके बाद फाइल टाउन प्लानर के पास पहुंचती है. फाइल पर टाउन प्लानर की स्वीकृति हासिल करने के लिए मोटा माल खर्च करना पड़ता है. कॉमर्शियल और अपार्टमेंट के लिए जगह और भवन के मुताबिक 20 रुपये से 30 रुपये प्रति वर्गफीट की दर से चढ़ावा देने के बाद ही नक्शा स्वीकृत होता है.
टाउन प्लानर से मुलाकात नहीं करने पर अंतिम स्वीकृति के लिए फाइल आगे नहीं बढ़ती है. नक्शे को स्वीकृति मिलने के बाद जमीन गिफ्ट डीड देने के लिए भी बिल्डर को रुपये देने पड़ते हैं. गिफ्ट डीड की भूमि की जांच के लिए पहुंचनेवाला जेइ 50 हजार से लेकर 1.50 लाख रुपये तक लेता है.
दो से आठ रुपये तक ही है शुल्क :
राज्य के नगर निकायों में बहुमंजिला भवनों के नक्शा स्वीकृति के लिए निर्धारित शुल्क न्यूनतम दो रुपये से अधिकतम आठ रुपये तक निर्धारित है. 5200 वर्गफीट तक के भवनों के लिए दो रुपया प्रति वर्गफीट फीस तय है. इससे ऊपर के क्षेत्रफल के लिए चार रुपये प्रति वर्गफीट और भवन के कॉमर्शियल होने की स्थिति में यह दर दोगुना यानी आठ रुपये प्रति वर्गफीट हो जाती है.
जानिए चढ़ावे का गणित
एक लाख वर्गफीट के कॉमर्शियल भवन का नक्शा के लिए वैध फीस : आठ लाख रुपये (आठ रुपये प्रति वर्ग फीट)
एक लाख वर्गफीट के कॉमर्शियल भवन का नक्शा लेने के लिए चढ़ावा : 30 लाख रुपये (30 रुपये प्रति वर्गफीट के हिसाब से)
एक लाख वर्गफीट का अपार्टमेंट व बड़े मकान के नक्शा के लिए वैध फीस : चार लाख रुपये (चार रुपये प्रति वर्ग फीट)
एक लाख वर्गफीट का अपार्टमेंट व बड़े मकान के नक्शा के लिए चढ़ावा : 20 लाख रुपये (20 रुपये प्रति वर्ग फीट)
फाइलों के साथ चढ़ावे का रूट चार्ट : लॉ एडवाइजर, जेइ, टाउन प्लॉनर, गिफ्ट डीड के लिए जेइ, टेबल दर टेबल बाबुओं का चढ़ावा
नहीं हैं टाउन प्लानर, इंजीनियर पास करते हैं नक्शा
नगर निकायों में टाउन प्लानर के पद तो हैं, लेकिन उन पदों पर पदस्थापित करने के लिए टाउन प्लानर नहीं हैं. राज्य के 48 नगर निकायों के लिए केवल पांच टाउन प्लानर ही हैं. राज्य सरकार उन पांचों टाउन प्लानरों की सेवा भी कांट्रेक्ट पर ले रही है. सभी नगर निकायों में नक्शा पास करने का काम इंजीनियरों और आर्किटेक्टों के हवाले है.
वर्ष 2017 से नक्शों का ब्योरा
नगर निगम स्वीकृत अस्वीकृत कॉमर्शियल रेसिडेंशियल
रांची 3783 831 103 3634
धनबाद 1487 175 48 1417
चास 1200 183 10 1145
मेदिनीनगर 521 84 31 462
आदित्यपुर 322 128 10 302
देवघर 416 58 27 387
गिरिडीह 366 78 07 344
हजारीबाग 289 144 07 272
मानगो 290 70 29 250