झारखंड में रामगढ़ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के परिणाम आ गये हैं. सुदेश महतो की पार्टी आजसू की उम्मीदवार और झारखंड के मंत्री रह चुके चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी ने जीत दर्ज कर ली है. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार बजरंग महतो को पराजित किया है. वर्ष 2019 के चुनाव में बजरंग महतो की पत्नी ममता देवी से चुनाव में शिकस्त खाने वाली आजसू प्रत्याशी सुनीता चौधरी ने आखिर कैसे बजरंग महतो को 21,970 वोटों के अंतर से हरा दिया.
रामगढ़ की कांग्रेस विधायक ममता देवी को एमपी-एमएलए कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनायी, तो यहां उपचुनाव कराने की नौबत आयी. 27 फरवरी को निर्वाचन आयोग ने रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में मतदान की तारीख तय की. उपचुनाव की घोषणा होते ही सत्ताधारी और विपक्षी दलों गठबंधन ने इस सीट को जीतने के लिए कमर कस ली. कांग्रेस उम्मीदवार को जिताने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोई कसर बाकी नहीं रखी.
Also Read: सुनीता चौधरी की जीत से गदगद हुए सुदेश महतो बोले – ये हेमंत सोरेन की हार, रामगढ़ की जनता को सलाम
दूसरी तरफ, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) पार्टी के सुप्रीमो सुदेश महतो ने भी वर्ष 2019 में आजसू की हार का बदला लेने के लिए रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया. वर्ष 2019 में आजसू ने क्या गलती की थी, उसका एहसास सुदेश महतो को हो गया था. इसलिए उन्होंने सबसे पहले अपनी गलती को सुधारा. अपने जोड़ीदार को मनाया. उसके साथ मिलकर एक बार फिर रामगढ़ विधानसभा सीट पर कब्जा करने की रणनीति बनायी.
जी हां, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से आजसू ने दोस्ती की. पुराने दोस्त को जिताने के लिए भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी पूरी मेहनत की. सत्ताधारी गठबंधन की तरफ से हेमंत सोरेन से लेकर कांग्रेस के केंद्रीय नेता तक ने रामगढ़ में प्रचार किया. वहीं, आजसू प्रत्याशी के लिए भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी से लेकर प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश तक ने जनता के बीच जाकर वोट मांगा.
Also Read: Ramgarh By-Eelection Result 2023: आजसू की सुनीता चौधरी 21,970 वोट से जीतीं, पिछली हार का लिया बदला
कांग्रेस ने ममता देवी के पति बजरंग महतो को अपना उम्मीदवार बनाया. बजरंग महतो जहां भी रैली करने जाते, अपने दुधमुंहे बेटे को जरूर ले जाते. पत्नी के जेल जाने की वजह भाजपा को बताते. साथ ही बच्चे के जरिये सहानुभूति वोट हासिल करने की कोशिश की. लेकिन, प्रचार अभियान के दौरान भाजपा ने सरकार की नीतियों को लेकर हल्ला बोला. हेमंत सोरेन सरकार की नियोजन नीति और स्थानीय नीति की भी एनडीए ने जमकर आलोचना की.
जनता को हेमंत सोरेन सरकार की ओर से वर्ष 2019 के चुनाव में किये गये वादों और उसकी हकीकत के बारे में बताया. एनडीए के नेताओं ने वोटरों को यह बताने में कोई कमी नहीं की कि हेमंत सोरेन की सरकार ने बेरोजगारों को नौकरी देने और नौकरी नहीं देने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था. लेकिन, सरकार बनने के बाद उन्होंने अपने वादे को पूरा नहीं किया. इस बीच, सरकारी कर्मचारियों के आंदोलन ने भी आग में घी का काम किया.