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झारखंड की पहली महिला राज्यपाल रही द्रौपदी मुर्मू का कैसा रहा कार्यकाल ? किन मुद्दों को लेकर हमेशा रही सजग

छह जुलाई को नये राज्यपाल की अधिसूचना जारी होने तक श्रीमती मुर्मू का कार्यकाल छह वर्ष एक माह 18 दिन का रहा. अपने पूरे कार्यकाल में कभी विवादों में नहीं रहीं. बल्कि हमेशा जनजातीय मामलों, शिक्षा, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य को लेकर सजग रहीं अौर समय-समय पर समीक्षा कर सरकार को व आला अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिया. पांचवीं अनुसूची के तहत श्रीमती मुर्मू ने अपना दायित्व निभाते हुए लगातार काम किया.

By Prabhat Khabar News Desk | July 7, 2021 12:17 PM
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Draupadi Murmu Tenure रांची : मूल रूप से ओड़िशा की रहने वाली दो बार विधायक व एक बार राज्यमंत्री के रूप में कार्य कर चुकीं द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में 18 मई 2015 को शपथ ली थीं. पांच वर्ष का कार्यकाल 18 मई 2020 को पूरा हो गया था, लेकिन कोरोना के कारण राष्ट्रपति द्वारा नयी नियुक्ति नहीं किये जाने के कारण श्रीमती मुर्मू का कार्यकाल का स्वत: विस्तार हो गया.

छह जुलाई को नये राज्यपाल की अधिसूचना जारी होने तक श्रीमती मुर्मू का कार्यकाल छह वर्ष एक माह 18 दिन का रहा. अपने पूरे कार्यकाल में कभी विवादों में नहीं रहीं. बल्कि हमेशा जनजातीय मामलों, शिक्षा, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य को लेकर सजग रहीं अौर समय-समय पर समीक्षा कर सरकार को व आला अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिया. पांचवीं अनुसूची के तहत श्रीमती मुर्मू ने अपना दायित्व निभाते हुए लगातार काम किया.

राज्यपाल के साथ-साथ विवि के कुलाधिपति के रूप में उच्च शिक्षा में सुधार के लिए लगातार प्रयास करती रहीं. अपने कार्यकाल में कई विवि के कुलपति व प्रतिकुलपति की नियुक्ति कीं. 10 दिसंबर 2016 को सभी विवि के लिए लोक अदालत लगाने का कार्य किया. जिसमें विवि शिक्षकों व कर्मचारियों के लगभग पांच हजार मामलों का निबटारा कर लगभग 127 लाख रुपये लाभुकों के बीच बंटवाया.

इतना ही नहीं कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालयों लगातार निरीक्षण कर उसकी स्थिति को सुधारने का कार्य किया. विवि व कॉलेजों में नामांकन प्रक्रिया केंद्रीयकृत कराने के लिए चांसलर पोर्टल का निर्माण कराया. सुदुरवर्ती गांवों का दौरा कर लोगों से संवाद कर केंद्र व राज्य की योजनाअों का लाभ लेने की अपील करती थीं. आवासीय विद्यालयों की दशा में सुधार लाने सहित युवाअों को कौशल युक्त बनाने के लिए विभिन्न कौशल विकास केंद्रों का भ्रमण कर आवश्यक दिशा-निर्देश देती रहीं.

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