झारखंड के बूढ़ा पहाड़ से नक्सलियों का कैसे हुआ सफाया? DGP ने बतायी पूरी कहानी, पढ़ें

ऑपरेशन डबल-बुल और ऑक्टोपस के सहारे झारखंड के बूढ़ा पहाड़ से नक्सलियों का सफाया हुआ है. शुक्रवार को सीएम हेमंत सोरेन ने 100 करोड़ रुपये के बूढ़ा पहाड़ डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की शुरुआत की. डीजीपी नीरज सिन्हा ने कहा कि सुरक्षाबलों के निरंतर चले अभियान से इस क्षेत्र को नक्सलियों से मुक्त कराया गया.

By Samir Ranjan | January 27, 2023 7:26 PM
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Jharkhand News: झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्र के नक्सलियों का शरणास्थली रहा गढ़वा की टेहरी पंचायत स्थित बूढ़ा पहाड़ आज नक्सलियों से खाली है. शुक्रवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी बूढ़ा पहाड़ पहुंचे. यहां पहुंचकर उन्होंने झंडोत्तोलन किया. इस मौके पर उन्होंने 100 करोड़ रुपये के बूढ़ा पहाड़ डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की शुरुआत की. झारखंड डीजीपी नीरज सिन्हा भी इनके साथ मौजूद रहे.

ऑपरेशन डबलबुल और ऑक्टोपस ने दिलायी सफलता

इस मौके पर डीजीपी श्री सिन्हा ने कहा कि ऑपरेशन डबलबुल और ऑपरेशन ऑक्टोपस द्वारा बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र को नक्सलियों से मुक्त कराने में सफलता मिली. इस इलाके को नक्सलियों से मुक्त कराने के लिए पिछले 30 साल में कई जवान शहीद हुए. इस कार्य में झारखंड पुलिस के पदाधिकारियों की भूमिका भी अहम रही. कहा कि जिला पुलिस अधीक्षक के व्यक्तिगत नेतृत्व में झारखंड जगुआर, सीआरपीएफ समेत जिला पुलिस द्वारा बूढा पहाड़ क्षेत्र को नक्सलियों से मुक्त कराया गया.

ऑपरेशन डबलबुल ने नक्सलियों के सप्लाई चेन को किया ध्वस्त

उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में बूढ़ा पहाड़ से सटे लातेहार, लोहरदगा और गुमला के सीमावर्ती क्षेत्रों मेंं संयुक्त बलोंं द्वारा ऑपरेशन डबलबुल चलाया गया. इसमें सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता हाथ लगी. इस अभियान में जहां 20 लाख का इनामी नक्सली सहित 11 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया, वहीं एक नक्सली को मार गिराया गया. इस दौरान सुरक्षाबलों ने 30 अत्याधुनिक हथियार समेत भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद किया. वहीं, कई बंकर को ध्वस्त किये गये. इस अभियान की सफलता से बूढ़ा पहाड़ के नक्सलियों का सप्लाईचेन ध्वस्त हुआ और उनके मनोबल को गहरा धक्का लगा. इसके बाद ऑपरेशन ऑक्टोपस ने नक्सलियों को बूढ़ा पहाड़ से भगाने में महती भूमिका निभायी.

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सुरक्षाबलों को उठाना पड़ा था नुकसान

डीजीपी ने कहा कि बूढ़ा पहाड़ पर चलाये गये निरंतर अभियान के दौरान सुरक्षाबलों को काफी नुकसान उठाना पड़ा. नक्सलियों ने बूढ़ा पहाड़ पर पहुंचने के सभी रास्तों पर भारी संख्या में लैंडमाइन बिछा रखा था, जिससे सुरक्षाबलों को भारी क्षति पहुंची थी. पिछले कुछ दशक में इन अभियानों के दौरान 59 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए, वहीं 64 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल भी हुए. इसके अलावा इस क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों ने भी नक्सलियों का दंश सहा. नक्सलियों द्वारा इस क्षेत्र के 42 ग्रामीणों की हत्या की गई है तथा 10 ग्रामीणों को गंभीर रूप से घायल किया था.

15 लाख का इनामी रिजनल कमांडर अमन गंझू ने किया था सरेंडर

उन्होंने कहा कि बूढ़ा पहाड के इस अभियान के शुरुआती दौर में सुरक्षाबलों ने बूढ़ा नदी पर ह्यूम पाइप के सहारे पुलिया का निर्माण किया, जिससे स्थानीय ग्रामीणों का भी आवागमन सुगम हुआ. सबसे पहले तिसीया एवं नवाटोली में नये सुरक्षा कैंप स्थापित किये गये और बूढ़ा पहाड़ की चौतरफा घेराबंदी की गई. नक्सलियों के बंकर को ध्वस्त किया गया. नक्सलियों को भगाने के बाद कई जगह कैंप स्थापित हुए. इस अभियान में अबतक कुल 19 अत्याधुनिक हथियार, लगभग 700 विभिन्न प्रकार के आईईडी और भारी मात्रा में विस्फोटक एवं गोला-बारूद की बरामदगी हुई. इसी दौरान 15 लाख का इनामी रिजनल कमांडर अमन गंझू ने सरेंडर किया.

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