Human Trafficking In Jharkhand: झारखंड में वर्ष 2019 से 2022 के बीच 996 बच्चों को मानव तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया गया है. इनके संरक्षण व बाल अधिकार से जुड़े मुद्दों पर समाज को जागरूक करने की जरूरत है. झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्था की निदेशक राजेश्वरी बी ने कहा है कि राष्ट्र व राज्य स्तर पर बच्चों के लिए निर्धारित नीतियां धरातल पर उतारने का प्रयास किया जा रहा है.
जरूरतमंद बच्चों को अधिकार दिलाना पदाधिकारियों का कर्तव्य
उनका कहना है कि हर बच्चे को, खासतौर पर जरूरतमंद बच्चे को उसका अधिकार दिलाना पदाधिकारियों का कर्तव्य है. राज्य ग्रामीण विकास संस्थान, हेहल में आयोजित कार्यशाला में निदेशक ने बाल संरक्षण व बाल अधिकार से जुड़े मुद्दों पर समाज को जागरूक करने का आह्वान किया.
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घुमंतू बच्चों के लिए विशेष कार्य की जरूरत: राजेश्वरी बी
राजेश्वरी बी ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक, सड़कों पर रहने वाले घुमंतू बच्चों के लिए विशेष कार्य करने की जरूरत है. उनको आम बच्चों की तरह समाज की मुख्यधारा में शामिल होने लायक बनाना है. उन्होंने 18 वर्ष से अधिक आयु के हो चुके संस्थान में रहने वाले बच्चों को प्राथमिकता के साथ कौशल विकास कार्यक्रम से जोड़ने का निर्देश दिया.
झारखंड में बाल तस्करी गंभीर समस्या
यूनिसेफ की झारखंड प्रमुख डॉ कनिका मित्रा ने इस अवसर पर कहा कि झारखंड में बाल तस्करी गंभीर समस्या है. झारखंड में करीब 2,000 बच्चे संस्थान में रह रहे हैं. वर्ष 2019 से लेकर अब तक 996 बच्चों को तस्करों से मुक्त कराया गया है. मुक्त कराये गये बच्चों में 410 बच्चों की उम्र 15 से 18 वर्ष के बीच है. वहीं 359 ऐसे बच्चे हैं, जिनकी उम्र 11 से 14 वर्ष है. इसके अलावा मुक्त कराये गये 126 बच्चों की उम्र 10 वर्ष से भी कम है.
पंचायत स्तर पर हो बच्चों की समस्या का आकलन
राजेश्वरी बी ने कहा कि बच्चों की समस्या का आकलन पंचायत स्तर पर किया जाये. कार्यशाला में यूनिसेफ की बाल संरक्षण विशेषज्ञ प्रीति श्रीवास्तव, वर्ल्ड विजन से रेखा खलखो, बचपन बचाओ आंदोलन के श्याम मलिक, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के अनिल यादव, सीआइएनआइ की तन्वी झा समेत अन्य उपस्थित थे.