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आईएएस छवि रंजन पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश से मुलाकात से करते रहे इनकार, अधीनस्थ कर्मियों पर मढ़ा ये आरोप

जमीन घोटाले की जांच के दौरान इस बात की जानकारी मिली थी कि सेना के कब्जेवाली जमीन,चेशायर होम रोड की जमीन के मामले में जमीन कारोबारियों को प्रेम प्रकाश ने ही छवि रंजन से मिलवाया था. उन्होंने सेना के कब्जेवाली जमीन खरीद बिक्री के मामले में गिरफ्तार जमीन कारोबारियों से मिलने की बात से भी इनकार किया.

रांची: रांची के पूर्व उपायुक्त छविरंजन से गुरुवार को दूसरी बार इडी के अधिकारियों ने पूछताछ की. इस दौरान छवि रंजन खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश करते रहे. वह सभी आरोपों को गलत बता कर सारा दोष अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर मढ़ते रहे. छवि रंजन ने प्रेमप्रकाश से मिलने की बात से भी इनकार किया. हालांकि जमीन घोटाले से जुड़े दस्तावेज को दिखा कर पूछे गये सवालों में वह उलझ गये. पूछताछ के बाद इडी के अधिकारियों ने पीएमएलए की धारा 50 के तहत उनका बयान दर्ज किया.

जमीन कारोबारियों को प्रेम प्रकाश ने ही छवि रंजन से मिलवाया था : जमीन घोटाले की जांच के दौरान इस बात की जानकारी मिली थी कि सेना के कब्जेवाली जमीन, चेशायर होम रोड की जमीन के मामले में जमीन कारोबारियों को प्रेम प्रकाश ने ही छवि रंजन से मिलवाया था. उन्होंने सेना के कब्जेवाली जमीन खरीद बिक्री के मामले में गिरफ्तार किये गये जमीन कारोबारियों से मिलने की बात से भी इनकार किया. जमीन की खरीद बिक्री के लिए सुनियोजित साजिश के तहत कोलकाता में जांच करा कर फर्जी तरीके से तैयार किये गये दस्तावेज को सही साबित करने की कोशिशों से भी इनकार किया. जमीन की इस खरीद बिक्री के मामले कारोबारियों सहित सात लोगों को जेल भेजा जा चुका है. इस जमीन की खरीद बिक्री में जगत बंधु टी स्टेट की ओर से प्रदीप बागची को सिर्फ 25 लाख रुपये का भुगतान किया गया. जबकि सेल डीड में सात करोड़ रुपये में सौदा किये जाने का उल्लेख है. जांच के दौरान बाकी 6.75 करोड़ रुपये का भुगतान का कोई सबूत नहीं मिल सका है.

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चेशायर होम रोड की जमीन की खरीद बिक्री के मामले में भी उन्होंने अपनी भूमिका से इनकार किया. दस्तावेज में जालसाजी के बाद इस जमीन को विष्णु अग्रवाल से बेची गयी गयी थी. जमीन की इस खरीद बिक्री में प्रेम प्रकाश की कंपनियों को 1.50 करोड़ रुपये मिले थे. हेहल के बजरा मौजा के 7.16 एकड़ जमीन के म्यूटेशन के मामले में गड़बड़ी से संबंधित दस्तावेज और प्राथमिकी दर्ज करने की मांग को नजर अंदाज करने के कानूनी पहलूओं से जुड़े सवालों को का वह कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दे सके.

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