रांची : प्रेम प्रकाश को रांची और बोकारो से सरकारी अंगरक्षक उपलब्ध कराये गये. अब पुलिस मुख्यालय ने मामले में गंभीरता दिखाते हुए संबंधित जिलों के एसपी से जवाब तलब करने की बात कही है. इसमें सबसे बड़ी बात है कि इडी कार्रवाई की जद में आये सत्ता गलियारे के मास्टरमाइंड पीपी उर्फ प्रेम प्रकाश न तो बड़े व्यवसायी हैं और न ही कोई बड़े जनप्रतिनिधि. लेकिन सत्ता के शीर्ष लोगों से नजदीकियों के कारण उन्हें झारखंड में लंबे समय से अंगरक्षक मिलते रहे हैं.
उन्हें रांची जिले से 2017 में दो अंगरक्षक मिले. फिर 2020 में दोनों में से एक अंगरक्षक को बदल कर उसकी जगह दूसरा अंगरक्षक दिया गया. यानी 2017 से पीपी को लगातार दो अंगरक्षक दिये गये. बोकारो से भी 2021 में दो अंगरक्षक दिये गये. किस आधार पर अंगरक्षक दिये गये, यह जांच का विषय है. इस मामले में बोकारो व रांची के एसपी से संपर्क की कोशिश की गयी, पर बात नहीं हो सकी.
सोशल साइट पर यह चर्चा रही कि हजारीबाग से भी पीपी को अंगरक्षक दिये गये हैं. पर हजारीबाग एसपी मनोज रतन ने कहा कि हमारे जिले से एक भी अंगरक्षक नहीं दिया गया. उधर, पीपी को अंगरक्षक मिलने की खबर पुलिस मुख्यालय तक भी पहुंच गयी है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मामले में संबंधित जिलों के एसपी से रिपोर्ट तलब की जायेगी कि पीपी को कैसे और क्यों अंगरक्षक उपलब्ध कराये गये. कमान काटनेवाले पदािधकारी से भी पूछताछ हो सकती है.
रांची से 2017 में मिले थे दो अंगरक्षक, इसमें से एक अंगरक्षक को 2020 में बदलकर दूसरा अंगरक्षक दिया गया
बोकारो से 2021 से दो और अंगरक्षक मिले, दोनों जिलों से अंगरक्षक मिलने के आधार की जांच होगी
संबंधित जिलों के वरीय पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर उठ रहे हैं सवाल
इडी लगातार प्रेम प्रकाश के मोबाइल की तलाश कर रही है. लेकिन मोबाइल अभी तक नहीं मिला है. पीपी के घर की तलाशी में भी मोबाइल का कोई सुराग हाथ नहीं लगा है. बताया जा रहा है कि 18 मई को इडी कार्यालय में पहुंचने से पूर्व पीपी ने अपना मोबाइल किसी नदी या तालाब में फेंक दिया था, जिसमें कई बड़े नौकरशाहों और नेताओं से जुड़े अहम साक्ष्य थे. उन्हें जाननेवाले बताते हैं कि पीपी एपल के फेसटाइम एप के जरिये ही बड़े लोगों से एपल मोबाइल पर बात करते थे. उनके मोबाइल में कई तरह के वीडियो भी मौजूद थे. कई अहम दस्तावेज भी छिपाकर रखे गये थे.
अवैध खनन केस में इडी ने पाकुड़ व साहिबगंज डीटीओ के अलावा दुमका के डीटीओ को भी रडार पर लिया है. तीनों से जांच एजेंसी पूछताछ करेगी. इनसे पूछा जायेगा कि कैसे बिना नंबर और परमिट के अवैध खनन से जुड़े वाहनों का परिचालन होता था.
हाईकोर्ट के अधिवक्ता रामसुभग सिंह ने मुख्य सचिव, डीजीपी व इडी के संयुक्त निदेशक को नोटिस भेजते हुए अंगरक्षक उपलब्ध कराने के मामले में शामिल पदाधिकारियों की भूमिका की जांच की मांग की है. एसएसपी रांची, एसपी हजारीबाग, बोकारो व हजारीबाग डीआइजी की भूमिका की जांच की मांग की गयी है.
Posted By: Sameer Oraon