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ED जांच में फंसे विशाल चौधरी न पूछताछ के लिए हाजिर हुआ न समय मांगा, पूजा सिंघल की संपत्ति होगी जब्त

मनरेगा घोटाले की जांच के दौरान विशाल चौधरी के रांची और मुजफ्फरपुर स्थित ठिकानों पर छापामारी की गयी थी. छापामारी मुजफ्फरपुर के दामोदरपुर में उसके ठिकानों पर की गयी थी.

By Prabhat Khabar News Desk | November 29, 2022 7:16 AM

रांची: ईडी की जांच के दायरे में फंसे विशाल चौधरी सोमवार को पूछताछ के लिए रांची कार्यालय में हाजिर नहीं हुआ. उसने बाद में हाजिर होने के लिए ईडी से अनुरोध भी नहीं किया है. उसकी संदिग्ध गतिविधियों और देश से भागने की आशंका के मद्देनजर इडी के अनुरोध पर उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था. इस नोटिस के आलोक में इमिग्रेशन अधिकारियों ने 24 नवंबर को उसे दिल्ली स्थित हवाई अड्डा पर थाइलैंड भागने के दौरान रोका और ईडी को इसकी सूचना दी. इसके बाद इडी ने उसे हवाई अड्डा पर ही समन देकर 28 नवंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया था.

ईडी ने मारा था छापा : मनरेगा घोटाले की जांच के दौरान विशाल चौधरी के रांची और मुजफ्फरपुर स्थित ठिकानों पर छापामारी की गयी थी. छापामारी मुजफ्फरपुर के दामोदरपुर में उसके ठिकानों पर की गयी थी. इसके अलावा रांची अशोक नगर रोड नंबर छह स्थित उसके आवास, अरगोड़ा आइडीबीआइ बैंक के ऊपर के मंजिल स्थित उसके कार्यालय, मोरहाबादी के वसुंधरा गार्डन स्थित एक फ्लैट में छापामारी की गयी थी.

छापामारी के दौरान उसके ठिकानों से राज्य के कुछ वरीय अधिकारियों के साथ मधुर संबंध होने और उन्हें अनुचित लाभ पहुंचाने से संबंधित दस्तावेज मिले थे. ईडी ने इस सिलसिले में प्रारंभिक पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया था. साथ ही बाद में बुलाये जाने पर आने का निर्देश दिया था. हालांकि बाद में ईडी द्वारा जारी समन के आलोक में वह हाजिर नहीं हुआ. इस स्थिति के मद्देनजर ईडी के अनुरोध पर उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया था.

जब्त होगी पूजा और अभिषेक की संपत्ति

मनी लाउंड्रिंग की आरोपी पूजा सिंघल व उनके पति अभिषेक झा की संपत्ति जब्त की जायेगी. दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में इसकी तैयारी की जा रही है. मनरेगा घोटाले की जांच के दौरान ईडी ने पाया था कि पूजा सिंघल की नाजायज आमदनी को जायज करार देने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाये गये. बैंकिंग चैनलों के जरिये इसे जायज करार देने की कोशिश की गयी. अचल संपत्ति खरीदने में भी इसका इस्तेमाल किया गया. ईडी ने जांच में पाया था कि पल्स अस्पताल, पल्स डॉयगनोस्टिक सहित अन्य संपत्ति खरीदने में इस पैसे का इस्तेमाल किया गया.

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